ठाणे जिले की एक विशेष अदालत ने नवी मुंबई में बंदूक की नोक पर एक डॉक्टर के घर को कथित तौर पर लूटने के आरोप में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत आरोपित छह लोगों को बरी कर दिया।
विशेष (मकोका) न्यायाधीश अमित एम शेटे ने 8 अगस्त के एक आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे आरोपियों के खिलाफ आरोपों को साबित करने में विफल रहा है और इसलिए उन्हें मुक्त करने की जरूरत है। अदालत ने सातवें आरोपी विनोदकुमार जैन से संबंधित मामले को स्थगित कर दिया, जिसका नाम एफआईआर में है और जो अभी भी फरार है।
अदालत ने गणेश मोहन विश्वकर्मा (37), दमरसिंह उर्फ विराज मोहन विश्वकर्मा (30), विनोद किशोर वैष्णव (38), रोनी जेरोम लोबो (38), असीरुद्दीन बदरुद्दीन उर्फ तकदीरुद्दीन खान (31) और हिम्मत सूरज सिंह (29) को बरी कर दिया।
विशेष लोक अभियोजक संजय मोरे ने अदालत को सूचित किया कि 6 दिसंबर, 2016 की रात को, आरोपी नवी मुंबई के बेलापुर इलाके में एक डॉक्टर के घर में घुस गया, अकेले रसोइये पर रिवॉल्वर और चाकू तान दिया और परिसर से कीमती सामान लेकर फरार हो गया।
न्यायाधीश ने कहा कि गवाह और अभियोजन यह स्थापित करने में विफल रहे कि वैष्णव और खान एक संगठित अपराध सिंडिकेट का हिस्सा थे और अन्य आरोपियों के साथ साजिश रचकर उन्होंने अपराध किया।
अदालत ने कहा कि अदालत में पेश की गई सामग्री आरोपी को कथित अपराध तो दूर, किसी भी अपराध का दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं है।
ऐसा कहा गया कि अभियोजन पक्ष ने 20 गवाहों से पूछताछ की लेकिन कथित आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ अपराध साबित नहीं कर सका।