बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह पूर्व विधायक ज़ीशान सिद्दीकी द्वारा दायर उस आवेदन पर समयबद्ध निर्णय ले, जिसमें उन्होंने लगातार मिल रही उगाही की धमकियों के मद्देनज़र अपनी सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस मामले में टालमटोल नहीं की जा सकती और संबंधित समिति को 10 दिनों के भीतर निर्णय लेना होगा।
न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति आर.आर. भोंसले की खंडपीठ के समक्ष ज़ीशान सिद्दीकी की ओर से पेश अधिवक्ता प्रदीप घरत ने बताया कि ज़ीशान को अगस्त से लगातार धमकी भरे और उगाही से जुड़े कॉल आ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस साल की शुरुआत में ज़ीशान की सुरक्षा को Y+ श्रेणी से घटा दिया गया था, जबकि खतरे की आशंका बनी हुई है।
ज़ीशान सिद्दीकी, दिवंगत एनसीपी नेता और पूर्व विधायक बाबा सिद्दीकी के पुत्र हैं। बाबा सिद्दीकी की 12 अक्टूबर 2024 की रात बांद्रा स्थित ज़ीशान के कार्यालय के बाहर तीन हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद ज़ीशान को पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई गई थी, लेकिन बाद में खतरे के आकलन (थ्रेट परसेप्शन रिव्यू) के आधार पर इसे कम कर दिया गया।
अदालत को बताया गया कि ज़ीशान ने इस वर्ष नवंबर में सक्षम समिति के समक्ष औपचारिक रूप से उच्च स्तर की सुरक्षा बहाल करने के लिए प्रतिवेदन दिया था। इस पर महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता मिलिंद साठे ने पीठ को आश्वस्त किया कि आवेदन पर विचार किया जाएगा।
इस मामले की पृष्ठभूमि में बाबा सिद्दीकी की पत्नी शहज़ीन द्वारा दायर वह याचिका भी है, जिसमें उन्होंने अपने पति की हत्या की जांच किसी “स्वतंत्र और निष्पक्ष एजेंसी” को सौंपने की मांग की है। अपनी याचिका में शहज़ीन ने दावा किया है कि हत्या से कुछ सप्ताह पहले बाबा सिद्दीकी ने बार-बार अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी और पुलिस सुरक्षा बहाल करने का अनुरोध किया था।
हाईकोर्ट ने ज़ीशान सिद्दीकी की सुरक्षा से जुड़े आवेदन पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी को तय की है।

