उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 12 वर्षीय बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न के आरोपी व्यक्ति के मकान को गिराए जाने की कार्रवाई पर अस्थायी रोक लगा दी है। अदालत ने यह राहत शीतकाल को ध्यान में रखते हुए दी।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने आरोपी उस्मान खान की पत्नी हुस्न बेगम द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया।
याचिका में हुस्न बेगम ने जिला विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा जारी उस नोटिस को चुनौती दी, जिसमें उन्हें मकान खाली करने का निर्देश दिया गया था और मकान को ध्वस्त करने की कार्रवाई प्रस्तावित थी।
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि जिस इलाके में उनका मकान स्थित है, वहां कई अन्य मकान भी कथित रूप से अवैध रूप से बने हुए हैं, लेकिन केवल उसी मकान को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि अन्य लोगों को इसी तरह के नोटिस क्यों नहीं जारी किए गए।
डीडीए ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वह अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है और यह कदम सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप उठाया गया है। प्राधिकरण ने दलील दी कि संबंधित भूमि वन भूमि है और आरोपी के पास किसी भी प्रकार के वैध दस्तावेज मौजूद नहीं हैं।
डीडीए ने यह भी कहा कि आरोपी को पहले ही नोटिस दिया जा चुका था, उसे अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर मिला था और वह आयुक्त के समक्ष दायर अपील भी हार चुका है।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने सर्दी के मौसम को देखते हुए मौखिक रूप से मकान के ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी। अदालत ने डीडीए को 5 जनवरी तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है और मामले को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

