बनभूलपुरा दंगों से संबंधित हाल ही में लिए गए फैसले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कथित मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक की जमानत याचिका को विचारार्थ ट्रायल कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश गुहानाथन नरेंद्र और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने ट्रायल कोर्ट को चार सप्ताह के भीतर मामले पर निर्णय लेने का निर्देश दिया।
अदालती कार्यवाही के दौरान मलिक का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने तर्क दिया कि जमानत याचिका पर सुनवाई करने और उसे मंजूर करने का अधिकार हाईकोर्ट के पास है। खुर्शीद ने दावा किया कि 8 फरवरी, 2024 को जब दंगे हुए थे, तब मलिक उस क्षेत्र में नहीं थे।
दूसरी ओर, उत्तराखंड सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने कहा कि मलिक, घटनास्थल पर शारीरिक रूप से मौजूद न होते हुए भी, सह-साजिशकर्ता के रूप में घटनाओं को अंजाम दे रहे थे। बसंत ने कहा, “इसे ध्यान में रखते हुए, उन्हें साजिशकर्ता के रूप में आरोप-पत्रित किया गया है।” उन्होंने ट्रायल कोर्ट से जमानत याचिका की व्यापक समीक्षा करने की वकालत की। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि निचली अदालत जमानत देने से इनकार करती है, तो मलिक हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं।
हाईकोर्ट ने दलीलों पर विचार करने के बाद मामले को निचली अदालत को सौंपने का फैसला किया और निचली अदालत द्वारा मामले के विवरण की विस्तृत जांच की आवश्यकता पर बल दिया।