चीनी नागरिकों को दुभाषिया न देने से मुकदमा अवैध: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दोषसिद्धि रद्द कर नए सिरे से ट्रायल का आदेश दिया

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चार चीनी नागरिकों की दोषसिद्धि और पूरी आपराधिक कार्यवाही को रद्द करते हुए मामला दोबारा चलाने का आदेश दिया है। अदालत ने पाया कि आरोप तय करते समय उन्हें दुभाषिया उपलब्ध नहीं कराया गया था, जबकि वे न हिंदी समझते थे और न अंग्रेज़ी। अदालत ने इसे निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का गंभीर उल्लंघन करार दिया।

न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की एकलपीठ ने कहा कि ट्रायल की शुरुआत में ही “मौलिक त्रुटि” हुई, जिसने पूरी कार्यवाही को अवैध बना दिया। अदालत ने उल्लेख किया कि निचली अदालतों ने भी माना था कि आरोपी केवल चीनी भाषा समझते हैं, फिर भी आरोप बिना दुभाषिया के समझाए गए।

READ ALSO  मुंबई एयरपोर्ट पर ग्राउंड सर्विस के लिए तुर्की कंपनी की जगह चयन को बॉम्बे हाईकोर्ट से MIAL को मिली राहत

इन चारों को 2019 में चंपावत जिले के बनबसा क्षेत्र में सीमा जांच के दौरान पकड़ा गया था। अधिकारियों का आरोप था कि वे वैध पासपोर्ट और वीज़ा के बिना पाए गए तथा उनके पास से मिले दस्तावेज़ भी कथित रूप से फर्जी थे। उन पर आईपीसी की धारा 419, 420 (धोखाधड़ी), 467, 468 (जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज़ का प्रयोग), 120बी (आपराधिक साजिश) के अलावा पासपोर्ट अधिनियम और विदेशियों अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया था।

मजिस्ट्रेट अदालत ने कुछ आरोपों से उन्हें बरी किया था लेकिन कुछ में दोषी ठहराया। सेशन कोर्ट ने भी यह फैसला बरकरार रखा। इसके बाद आरोपियों ने हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की।

हाईकोर्ट ने माना कि आरोप तय करने के समय दुभाषिया न देना ऐसी गंभीर प्रक्रिया-गत त्रुटि है जिसे बाद में ठीक नहीं किया जा सकता। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि हालाँकि बयान दर्ज करते समय दुभाषिया मौजूद था, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण और पहली प्रक्रिया — आरोप समझाना — गलत तरीके से की गई, जिससे आगे की संपूर्ण कार्यवाही अर्थहीन हो गई।

READ ALSO  रिट क्षेत्राधिकार स्वामित्व विवाद पर निर्णय लेने के लिए नहीं है: तेलंगाना हाईकोर्ट

बेंच ने कहा, “अधीनस्थ अदालत ने भी माना कि आरोपी केवल चीनी भाषा समझते थे। इसके बावजूद आरोप दुभाषिया की सहायता के बिना तय किए गए, जो निष्पक्ष सुनवाई के मूल अधिकार का उल्लंघन है।”

अदालत ने मजिस्ट्रेट और सेशन कोर्ट के आदेशों को रद्द करते हुए दोषसिद्धि और सज़ा को क्वैश कर दिया और निर्देश दिया कि ट्रायल प्रारंभ से फिर शुरू किया जाए तथा पूरे मामले में दुभाषिया अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाए।

READ ALSO  मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में यदि वैध आय का स्रोत न हो तो संपत्ति और अपराध की आय के बीच संबंध सिद्ध हो सकता है: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles