उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग रोकथाम पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने केंद्र, राज्य सरकार और NMC से मांगी रिपोर्ट

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उच्च शिक्षण संस्थानों, प्रोफेशनल कोर्स वाले कॉलेजों और मेडिकल कॉलेजों में रैगिंग की घटनाओं को रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर केंद्र सरकार, राज्य सरकार और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) से हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिए। अदालत ने राज्य सरकार से यह भी पूछा कि क्या रैगिंग रोकथाम के लिए कोई विशेष कानून बनाया जा रहा है।

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राज्य सरकार ने अदालत को सूचित किया कि हाल के दिनों में किसी भी कॉलेज या मेडिकल संस्थान में रैगिंग की कोई घटना सामने नहीं आई है। हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील ने आरोप लगाया कि अदालत को गुमराह करने के लिए झूठे हलफनामे दाखिल किए जा रहे हैं। इस पर अदालत ने याचिकाकर्ता को प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 17 नवम्बर के लिए निर्धारित की है।

पहले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि प्रत्येक जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला निगरानी समिति गठित की जाए और हर विश्वविद्यालय में एंटी-रैगिंग सेल स्थापित किया जाए।

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अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि अगर किसी संस्थान में रैगिंग की घटना होती है तो उस संस्थान के प्रमुख को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

हाईकोर्ट ने दोहराया कि इन निर्देशों का पालन सुनिश्चित करना अनिवार्य है ताकि राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण बनाया जा सके।

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