उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार में एक महिला की निर्मम हत्या के मामले में दोषी हैदर अली को दी गई मृत्युदंड की सजा की न्यायिक समीक्षा के लिए एक एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) नियुक्त किया है। यह नियुक्ति मृत्युदंड मामलों में अनिवार्य न्यायिक प्रक्रिया के तहत की गई है।
मुख्य न्यायाधीश गुहनाथन नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने अधिवक्ता मनीषा भंडारी को बुधवार को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया और उन्हें यह निर्देश दिया कि वे अपराध की गंभीरता और ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई मृत्युदंड की उपयुक्तता का मूल्यांकन करने में अदालत की सहायता करें।
यह मामला एक अत्यंत जघन्य घटना से जुड़ा है, जिसमें हैदर अली को एक महिला का सिर कलम करने का दोषी ठहराया गया था। आरोप है कि महिला ने हैदर अली के बार-बार के प्रेम प्रस्ताव और शादी के लिए दबाव को ठुकरा दिया था। पीड़िता के भाई द्वारा गंगनहर थाने में दर्ज शिकायत के अनुसार, अली अपने साथियों के साथ शिकायतकर्ता की अनुपस्थिति में घर में घुसा और महिला की हत्या कर दी।

12 जून को हरिद्वार की रूड़की स्थित सत्र न्यायालय ने अली को हत्या का दोषी ठहराते हुए मृत्युदंड सुनाया। भारतीय कानून के तहत, मृत्युदंड की सजा पर उच्च न्यायालय की पुष्टि आवश्यक होती है, अतः ट्रायल कोर्ट का फैसला उच्च न्यायालय को भेजा गया।
अब हाईकोर्ट यह जांच करेगा कि क्या यह अपराध भारतीय कानून के तहत “दुर्लभतम से दुर्लभ” की श्रेणी में आता है — जो मृत्युदंड को बनाए रखने की कानूनी कसौटी है।
इस मामले में अगली सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी द्वारा प्रस्तुत तर्कों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जो एक स्वतंत्र कानूनी दृष्टिकोण से अदालत की निष्पक्ष निर्णय तक पहुँचने में सहायता करेंगी।