इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश ओम प्रकाश सप्तम ने उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम(UPSIDC) कानपुर नगर के मुख्य अभियंता रहे अरुण कुमार मिश्र की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है। अरुण कुमार मिश्र पर चार से पांच किमी लम्बी सड़क को बिना निर्माण कार्य एक करोड़ रुपए भुगतान करने का आरोप है। इन पर वर्ष 2012 में एफआईआर दर्ज कराई गई थी।
याचिकाकर्ता का कहना है कि उन्होंने प्रबंध निदेशक के खिलाफ अनियमितता का खुलासा किया था। इस कारण उनकी गिरफ्तारी हुई। इससे अधिकारियों ने द्वेषभावनापूर्ण से बिना पुख्ता सबूत के उन्हें फँसाया है। और वह निर्दोष हैं। एफआईआर नागेन्द्र सिंह,अजीत सिंह ,एसके वर्मा, व मेसर्स कार्तिक एंटरप्राइजेज के खिलाफ दर्ज कराई गई है। जिसमे याची का नाम नही है।उसके बावजूद उसे कई बार गवाह के तौर पर बुलाया गया है।
कोर्ट के समक्ष याची ने कहा कि घटना के 8 साल बाद अक्टूबर 2020 को उसे गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया है। जिस वक्त वह निगम के मुख्य अभियंता के पद पर नियुक्त थे। याची पर लोक निर्माण विभाग से अनापत्ति लिए बगैर एक करोड़ रुपयों का भुगतान करने का आरोप है,जबकि अनियमितता को लेकर याची के खिलाफ कोई विभागीय कार्यवाई भी नही की गई है। सड़क निर्माण का थर्ड पार्टी निरीक्षण कराने के बाद भुगतान किया गया है।
इलाहाबाद कोर्ट के समक्ष राज्य सरकार की तरफ से कहा गया है कि जब सड़क निर्माण का कार्य ही नही हुआ उसके बावजूद याची और उसके सह अभियुक्तों द्वारा भुगतान कर दिया गया है। जेल से बाहर आने के बाद वह विवेचना को प्रभावित कर सकते हैं।
कोर्ट ने कहा कि जो सड़क बनी ही नही यह अहम तथ्य है, उसका एक करोड़ भुगतान भी हो चुका इस कारण जमानत नही दी जा सकती है।