आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश पंचायत राज (स्थानों और पदों के आरक्षण और आवंटन) (बारहवें संशोधन) नियम, 2021 को चुनौती देने वाली एक रिट याचिका में महाधिवक्ता को नोटिस जारी किया है
याचिकाकर्ता के वकील श्री अमित भदौरिया ने तर्क दिया कि अनुच्छेद 243 डी (4) विशेष रूप से रोटेशन के लिए प्रदान करता है और इस प्रकार रोटेशन के प्रावधान का संवैधानिक आधार है। एक बार शुरू होने वाली रोटेशन की प्रणाली को बीच में शून्य पर निर्धारित नहीं किया जा सकता है
बारवें संसोधन से सरकार ने इस प्रक्रिया को रोक दिया जो कि संविधान के अनुच्छेद 243 डी (4) एवं 21 के विरुद्ध है
श्री सिंह ने के कृष्ण मूर्ति बनाम भारत संघ के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का हवाला दिया, जिसमें यह कहा गया है कि “यह नीति एक सुरक्षा कवच है, जिससे एक विशेष पद को हमेशा के लिए आरक्षित किए जाने की संभावना से बचाता है”
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तर्कों को सुनने के बाद, माननीय न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी और माननीय न्यायमूर्ति मनीष माथुर की डिवीजन बेंच ने रिट याचिका में महाधिवक्ता को नोटिस जारी किए।
साथ ही साथ कोर्ट ने बारवें संसोधन के आ जाने के बाद रिव्यु याचिका को ख़ारिज कर दिया है, क्यूंकि उसमे जिस निर्णय एवं आदेश का रैव्यू माँगा गया था, उस वक़्त यह संसोधन नहीं आया था
केस का विवरण:
शीर्षक: दिलीप कुमार बनाम राज्य
केस नंबर: 9605 of 2021 (M/B)