केवल दो मामलों में आरोपित होने से किसी व्यक्ति को गुंडा नहीं कहा जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज, 5 अगस्त 2025: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शैलेन्द्र कुमार के विरुद्ध ललितपुर के अतिरिक्त जिलाधिकारी (एडीएम) द्वारा जारी शो कॉज़ नोटिस को निरस्त कर दिया। यह नोटिस उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण अधिनियम, 1970 के अंतर्गत जारी किया गया था। अदालत ने कहा कि केवल दो मामलों में आरोपित होने से किसी व्यक्ति को अधिनियम की परिभाषा के अंतर्गत “गुंडा” नहीं माना जा सकता।

मामले की पृष्ठभूमि

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति अवनीश सक्सेना की खंडपीठ ने शैलेन्द्र कुमार द्वारा दाखिल रिट याचिका पर सुनवाई की। याचिका में 30 जून 2025 को एडीएम ललितपुर द्वारा जारी शो कॉज़ नोटिस को निरस्त करने की मांग की गई थी। यह नोटिस थाना कोतवाली, ललितपुर के मामलों के आधार पर धारा 3 गुंडा अधिनियम के तहत जारी किया गया था।

नोटिस निम्नलिखित मामलों के आधार पर जारी किया गया था–

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  1. केस क्राइम संख्या 150/2024, धारा 389, 504, 506, 120B आईपीसी और धारा 67 आई.टी. एक्ट।
  2. केस क्राइम संख्या 1042/2024, धारा 352, 351(3) भारतीय न्याय संहिता।
  3. बीट रिपोर्ट संख्या 37, दिनांक 4 अप्रैल 2025।
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अदालत की टिप्पणियां

अदालत ने याची की इस दलील को स्वीकार किया कि नोटिस केवल दो मामलों के आधार पर जारी किया गया था, जो गुंडा अधिनियम की कार्यवाही को उचित नहीं ठहराता। खंडपीठ ने अपने पूर्व निर्णय गोवर्धन बनाम राज्य बनाम उत्तर प्रदेश (क्रिमिनल मिस. रिट याचिका संख्या 12619/2023) का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया था कि केवल दो मामलों में आरोपित होना किसी व्यक्ति को “गुंडा” घोषित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

अदालत ने दोहराया कि स्थापित कानूनी स्थिति ऐसे नोटिस जारी करने का समर्थन नहीं करती। साथ ही, इस प्रकार की कार्रवाई को उचित आधार के बिना जारी करने की प्रवृत्ति की निंदा की।

अदालत का निर्देश

हाईकोर्ट ने शो कॉज़ नोटिस को निरस्त करते हुए याचिका स्वीकार कर ली। साथ ही, अदालत ने एडीएम ललितपुर को भविष्य में गुंडा अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही करते समय सावधानी बरतने का निर्देश दिया।

अदालत ने आदेश की प्रति अनुपालन हेतु शासकीय अधिवक्ता को उपलब्ध कराने का निर्देश भी दिया।

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