मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT), थाणे ने 2018 में सड़क दुर्घटना में मौत हुए 38 वर्षीय प्लंबर दाऊलत वामन दवाने के परिवार को ₹40.08 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह आदेश 28 नवंबर को अतिरिक्त संयुक्त जिला न्यायाधीश एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश केपी श्रीखंडे द्वारा पारित किया गया, जिसकी जानकारी शनिवार को उपलब्ध कराई गई।
17 नवंबर 2018 को दवाने मुंबई-नासिक हाईवे की सर्विस रोड के पास खड़े थे, तभी तेज रफ्तार कार ने उन्हें टक्कर मार दी थी। शाहापुर पुलिस ने उस समय भारतीय दंड संहिता और मोटर वाहन अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था।
न्यायाधिकरण ने मृतक की पत्नी और याचिकाकर्ता दर्शना दवाने की गवाही को स्वीकार किया, जिसे एफआईआर, स्पॉट पंचनामा और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट जैसे दस्तावेजी साक्ष्यों का समर्थन प्राप्त था। अदालत ने कहा कि क्रॉस-एग्ज़ामिनेशन में उनकी गवाही को लेकर कोई ठोस विवाद नहीं उभरा।
बीमा कंपनी द्वारा यह तर्क कि दुर्घटना मृतक की लापरवाही से हुई, न्यायाधिकरण ने खारिज कर दिया। साथ ही बीमा कंपनी का यह दावा भी अस्वीकार किया गया कि चालक के पास वैध लाइसेंस नहीं था और यह बीमा पॉलिसी का उल्लंघन है।
न्यायाधिकरण ने माना कि दवाने प्लंबर के रूप में ₹10,000 प्रतिमाह कमाते थे और टेंट व्यवसाय से अतिरिक्त ₹10,000 की आय होती थी। इसी आधार पर निर्भरता क्षति ₹37.80 लाख के साथ 20 प्रतिशत वृद्धि जोड़कर मुआवजे की गणना की गई।
एमएसीटी ने कहा,
“याचिकाकर्ता ₹40,08,000 की मुआवजा राशि के हकदार हैं, जिस पर वाद दायर करने की तारीख से 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देय होगा।”
लगभग सात साल बाद आया यह निर्णय पीड़ित परिवार के लिए राहत लेकर आया है।

