महाराष्ट्र के ठाणे जिले की मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (MACT) ने 2017 में नासिक-मुंबई हाईवे पर हुई एक भीषण ट्रक दुर्घटना में मारी गई महिला के परिवार और गंभीर रूप से घायल दो अन्य लोगों को 87 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा देने का आदेश दिया है।
8 मई को पारित आदेश की प्रति शनिवार को उपलब्ध कराई गई। इस मामले की सुनवाई MACT के अध्यक्ष एस. बी. अग्रवाल ने की। दावा याचिकाएं ट्रक मालिक मुन्ना मगई यादव और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के खिलाफ दायर की गई थीं। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता वाई. एस. दूदुस्कर ने तथा बीमा कंपनी की ओर से अधिवक्ता के. वी. पूजारी ने पक्ष रखा। ट्रक मालिक तीनों मामलों में अनुपस्थित (एक्स-पार्टी) रहा।
यह दुर्घटना 22 अप्रैल 2017 को उस समय हुई जब साध्वियों और उनके सेवकों का एक समूह नासिक से मुंबई की धार्मिक यात्रा पर था। समूह के कुछ सदस्य पैदल चल रहे थे और कुछ व्हीलचेयर में थे, तभी एक ट्रक ने उन्हें कुचल दिया, जिससे घातक और जीवनभर के लिए गंभीर चोटें आईं।

अधिकरण ने 66 वर्षीय रत्नशीलाजी हीराचंद चोपड़ा जैन, जो व्हीलचेयर पर थीं और सिर, छाती व पेट में गंभीर चोटों के चलते हादसे के बाद से बिस्तर पर ही हैं, को 38.58 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान किया।
रत्नी उर्फ रुपनी हांसदा, जिनकी इलाज के दौरान सिर में गंभीर चोट लगने से मृत्यु हो गई थी, के परिवार को 24.32 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया। वहीं, 64 वर्षीय सुनीता उर्फ सामोनीदेवी नेयका मांझी, जिन्हें फ्रैक्चर और सिर में चोट आई थी, को 24.37 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान किया गया।
बीमा कंपनी ने यह दावा करते हुए अपना बचाव किया कि वाहन चालक के पास वैध लाइसेंस और परमिट नहीं था और यह पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन है। हालांकि, अधिकरण ने पाया कि इस दावे का समर्थन करने वाला कोई प्रमाण नहीं है और वाहन मालिक एवं बीमा कंपनी दोनों को संयुक्त रूप से मुआवजा देने का जिम्मेदार ठहराया।