सुप्रीम कोर्ट ने करनाल बार एसोसिएशन के चुनावों में लगातार हो रही अनियमितताओं पर गहरी नाराज़गी जताई है और स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि हालात नहीं सुधरे तो बार एसोसिएशन को भंग करने से भी गुरेज़ नहीं किया जाएगा।
यह मामला संदीप चौधरी बनाम जगमाल सिंह जातियां में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन.के. सिंह की पीठ के समक्ष आया, जिसमें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) द्वारा जारी उस निर्देश पर रोक लगा दी थी, जिसमें अधिवक्ता संदीप चौधरी को करनाल बार चुनाव में भाग लेने की अनुमति दी गई थी।
बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा ने संदीप चौधरी पर अयोग्य अधिवक्ताओं को चैंबर आवंटित करने के आरोप लगाते हुए उन्हें चुनाव लड़ने से रोका था।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बार के संचालन और प्रबंधन को लेकर गंभीर सवाल उठाए और चेतावनी दी:
“हम कड़े कदम उठाएंगे, हम बार एसोसिएशन को भंग कर देंगे… अगर यही सब चलता रहा तो हम ऐसा कदम उठाएंगे जो आपके मन में है, लेकिन हम अभी आपसे साझा नहीं करेंगे… हमें किसी से डर नहीं है। हम सीधे सांड के सींग पकड़ लेंगे।”
फरवरी में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने यह कहते हुए BCI के अधिकार क्षेत्र को नकार दिया था कि राज्य बार काउंसिल की विशेष समिति ने अभी तक अपनी जांच पूरी नहीं की है और कोई अंतिम सिफारिश नहीं दी है।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता ने यह तर्क दिया कि उन्हें सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया।
पीठ ने संस्थागत जवाबदेही की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए कहा:
“हम इच्छुक नहीं हैं, लेकिन आवश्यकता पड़ी तो न्यायिक पक्ष पर जाकर फैसला सुनाने से भी पीछे नहीं हटेंगे। हालांकि, फिलहाल हम वैकल्पिक समाधान को प्राथमिकता देना चाहते हैं। अगर आपसी सहमति से हल निकल सकता है तो वह बेहतर रहेगा।”
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 25 अप्रैल को तय की है और सीनियर एडवोकेट तथा न्यायमित्र आर.एस. चीमा से यह सुझाव देने को कहा है कि करनाल बार के कौन-कौन वरिष्ठ सदस्य अस्थायी रूप से बार एसोसिएशन का संचालन संभाल सकते हैं।