सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (VIL) की उस याचिका पर सुनवाई 6 अक्टूबर तक के लिए टाल दी, जिसमें कंपनी ने वित्त वर्ष 2016-17 के लिए दूरसंचार विभाग (DoT) की अतिरिक्त समायोजित सकल राजस्व (AGR) मांग ₹5,606 करोड़ को चुनौती दी है।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजरिया की पीठ ने यह आदेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर दिया। मेहता ने केंद्र सरकार की ओर से कहा कि मामला दशहरा अवकाश के बाद सूचीबद्ध किया जाए। अदालत ने यह आग्रह स्वीकार कर सुनवाई 6 अक्टूबर तक स्थगित कर दी।
कंपनी ने शीर्ष अदालत से आग्रह किया है कि DoT को निर्देश दिया जाए कि वह 3 फरवरी 2020 को जारी ‘डिडक्शन वेरिफिकेशन गाइडलाइंस’ के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 तक की सभी एजीआर बकाया राशि का व्यापक पुनर्मूल्यांकन और मिलान करे। कंपनी का कहना है कि अतिरिक्त मांग सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेशों के विपरीत है।

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल की पुनर्विचार याचिकाएँ खारिज कर दी थीं, जिसमें उन्होंने एजीआर बकाया की गणना में हुई कथित त्रुटियों और प्रविष्टियों के दोहराव को सुधारने की मांग की थी।
सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार वोडाफोन आइडिया में लगभग 50 प्रतिशत हिस्सेदारी रखती है और इस कारण कंपनी के अस्तित्व में बने रहने में सरकार की प्रत्यक्ष हिस्सेदारी है। उन्होंने कहा, “कोई न कोई समाधान ढूंढना होगा। यदि मामला अगले हफ्ते रखा जाए तो इस दिशा में विचार किया जा सकता है।”
एजीआर विवाद दूरसंचार कंपनियों द्वारा सरकार को दिए जाने वाले लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम चार्ज की गणना के तरीके से जुड़ा है। अक्टूबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने DoT की व्याख्या को सही ठहराया, जिसमें दूरसंचार आय के साथ-साथ गैर-दूरसंचार आय को भी एजीआर में शामिल किया गया था। इससे कंपनियों पर ₹93,520 करोड़ तक का भारी बकाया निकल आया।
सितंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों को बकाया राशि चुकाने के लिए 10 साल की अवधि दी थी। अदालत ने कहा था कि मार्च 2021 तक कुल बकाया का 10 प्रतिशत जमा करना होगा और बाकी राशि 2031 तक वार्षिक किस्तों में चुकानी होगी। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि DoT की ओर से तय मांग को अंतिम माना जाएगा और उसमें कोई पुनर्मूल्यांकन नहीं होगा।
हालाँकि, 2021 में नियमों में बदलाव कर गैर-दूरसंचार आय को एजीआर से बाहर कर दिया गया, जिससे कंपनियों पर भविष्य का बोझ कुछ कम हुआ।
अब 6 अक्टूबर की सुनवाई महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि इससे तय हो सकता है कि वोडाफोन आइडिया को ₹5,606 करोड़ की नई मांग पर कोई राहत मिलेगी या नहीं, जबकि कंपनी पहले से ही भारी कर्ज और वित्तीय संकट से जूझ रही है और सरकार उसकी सबसे बड़ी हिस्सेदार है।