सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर वाइसरॉय रिसर्च LLC द्वारा वेदांता समूह की कंपनियों पर लगाए गए आरोपों की जांच की मांग वाली जनहित याचिका (PIL) को खारिज करते हुए पूछा कि भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी कंपनियों की इतनी दिलचस्पी क्यों है।
न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति ए. एस. चंदुरकर की पीठ ने अधिवक्ता शक्ति भाटिया द्वारा दायर याचिका को वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन के यह कहने पर वापस लेने की अनुमति दी कि वह याचिका वापस लेना चाहते हैं।
पीठ ने सुनवाई के दौरान पूछा, “भारत अपने मामलों को कैसे चलाता है और किस कानून के तहत, इससे बाहर की कंपनियों को इतनी चिंता क्यों है?”

केंद्र सरकार, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का विरोध किया और वाइसरॉय रिसर्च को एक शॉर्ट-सेलर बताते हुए उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि याचिका दायर होने के तुरंत बाद वाइसरॉय ने सेबी अध्यक्ष और अन्य प्राधिकरणों को ईमेल भेजा, जो “एक व्यवस्थित पैटर्न का हिस्सा है, जिसमें बाहरी एजेंसियां रिपोर्ट बनाकर भारतीय शेयर बाजार को प्रभावित करने की कोशिश करती हैं।”
मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता मात्र एक “नामधारी” हैं और विदेशी हितों के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “देश की सर्वोच्च अदालत को सैर-सपाटे के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इस याचिका को खारिज किया जाए ताकि एक कड़ा संदेश जाए।”
वरिष्ठ अधिवक्ता शंकरनारायणन ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता न तो वाइसरॉय के आरोपों का समर्थन करते हैं और न ही उसकी कार्यप्रणाली का। उन्होंने कहा कि याचिका में मांगी गई राहत सीमित है—सेबी और आरबीआई को इन आरोपों की जांच कर उचित कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला अदाणी–हिंडनबर्ग प्रकरण जैसा नहीं है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञ समिति गठित की थी।
पीठ ने कहा कि यदि वह नोटिस जारी कर जवाब तलब करेगी तो याचिका को भारी लागत के साथ खारिज किया जाएगा। इसके बाद शंकरनारायणन ने याचिका वापस ले ली।
अमेरिका के डेलावेयर में पंजीकृत वाइसरॉय रिसर्च LLC ने हाल ही में वेदांता लिमिटेड, वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड और संबंधित संस्थाओं के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए थे। अधिवक्ता शक्ति भाटिया ने दावा किया था कि उन्होंने इन आरोपों के कुछ हिस्सों को स्वतंत्र रूप से सत्यापित किया है और सेबी व आरबीआई जैसी नियामक संस्थाओं द्वारा जांच की मांग की थी।
इस मामले की सुनवाई से पहले दो न्यायाधीश — न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन — खुद को सुनवाई से अलग कर चुके थे।