सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एमडीएमके के संस्थापक और पूर्व राज्यसभा सदस्य वाइको की उस याचिका पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा है, जिसमें तमिलनाडु में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीज़न को चुनौती दी गई है।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ ने मामले पर संज्ञान लेते हुए इसे 2 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
वाइको ने अपनी याचिका में कहा है कि पुनरीक्षण प्रक्रिया से जुड़े अधिसूचना विभिन्न मौलिक अधिकारों, जिनमें समानता के अधिकार का उल्लंघन भी शामिल है, के विपरीत है और यह प्रतिनिधित्व अधिनियम तथा रजिस्ट्रेशन ऑफ इलेक्टर्स रूल्स, 1960 के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है। उनका आरोप है कि इस प्रक्रिया से मतदाता सूची में मनमाने ढंग से नाम जोड़े या हटाए जा सकते हैं।
तमिलनाडु में इस विशेष पुनरीक्षण को चुनौती देने वालों में डीएमके, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), टीवीके और अभिनेता विजय भी शामिल हैं, जिन्होंने अलग-अलग याचिकाएँ दायर की हैं।
इससे पहले 11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर डीएमके, सीपीआई(एम), वेस्ट बंगाल कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस नेताओं की याचिकाओं के संदर्भ में चुनाव आयोग से अलग-अलग जवाब मांगा था। उस दिन अदालत ने मद्रास और कलकत्ता उच्च न्यायालयों को भी निर्देश दिया था कि इस मुद्दे पर लंबित सभी कार्यवाही अगले आदेश तक स्थगित रखी जाए।
इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में विशेष गहन पुनरीक्षण का समर्थन करने वाली एआईएडीएमके की हस्तक्षेप याचिका को भी सूचीबद्ध करने की अनुमति दे दी है।
अब इस मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी।




