सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार की उस अपील पर दिवाली अवकाश के बाद सुनवाई करेगा, जिसमें उन्होंने 1984 सिख विरोधी दंगों के एक मामले में अपनी दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को चुनौती दी है।
शीर्ष अदालत का दिवाली अवकाश 20 अक्टूबर से शुरू होकर 27 अक्टूबर को समाप्त होगा। न्यायमूर्ति जे.के. महेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय विश्नोई की पीठ ने पक्षकारों के वकीलों से कहा कि वे आरोपों, गवाहों की गवाही और ट्रायल कोर्ट एवं दिल्ली हाईकोर्ट के निष्कर्षों को विस्तार से स्पष्ट करें।
पीठ ने कहा, “जब उलटफेर हुआ तो आखिर किस आधार पर हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलट दिया?”

इस मामले में सीबीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर.एस. चीमा और कुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन पेश हुए। सह-आरोपी बलवान खोखर और गिरधारी लाल की अपीलें भी कुमार की अपील के साथ सूचीबद्ध की गई हैं।
यह मामला दिल्ली छावनी के राज नगर क्षेत्र में नवंबर 1–2, 1984 को पांच सिखों की हत्या और एक गुरुद्वारे को जलाने से संबंधित है। यह घटनाएं तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या के बाद भड़के दंगों का हिस्सा थीं।
दिसंबर 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद कुमार ने अदालत में आत्मसमर्पण किया था। हाईकोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास (शेष जीवन तक जेल) की सजा सुनाई थी। अदालत ने उन्हें आपराधिक षड्यंत्र, हत्या के अपराधों में उकसाने, धर्म के आधार पर वैमनस्य फैलाने और गुरुद्वारे को नष्ट करने का दोषी ठहराया।
दोषसिद्धि के बाद कुमार ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि 1984 के दंगे “अकल्पनीय पैमाने का नरसंहार” थे, जिसमें केवल राष्ट्रीय राजधानी में ही 2,700 से अधिक सिखों की हत्या हुई। अदालत ने कहा कि यह “मानवता के खिलाफ अपराध” था, जिसे राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था और जिसे उदासीन कानून-व्यवस्था तंत्र ने और बढ़ावा दिया।
हाईकोर्ट ने पांच अन्य दोषियों, जिनमें खोखर और लाल भी शामिल हैं, की सजाओं को भी बरकरार रखा था।