सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कन्नड़ अभिनेता दर्शन को रेणुकास्वामी हत्याकांड में कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा ज़मानत दिए जाने पर गंभीर आपत्ति जताई। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह हाईकोर्ट द्वारा विवेकाधिकार के प्रयोग से “बिलकुल भी संतुष्ट” नहीं है।
जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ कर्नाटक सरकार की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें हाईकोर्ट द्वारा 13 दिसंबर 2024 को दर्शन और अन्य सह-आरोपियों को दी गई ज़मानत को चुनौती दी गई है।
“सच कहें तो हम हाईकोर्ट द्वारा विवेकाधिकार के इस्तेमाल के तरीके से संतुष्ट नहीं हैं। यह हम ईमानदारी से कह रहे हैं,” पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा, जो दर्शन की ओर से पेश हुए थे।

पीठ ने आगे कहा, “हम आपकी दलीलें सुनेंगे क्योंकि आपके मुवक्किल ज़मानत पर हैं। लेकिन आपने देखा ही होगा कि हाईकोर्ट ने किस तरह यह आदेश लिखा है।”
दर्शन, अभिनेत्री पवित्रा गौड़ा और अन्य कई आरोपियों पर 33 वर्षीय प्रशंसक रेणुकास्वामी के अपहरण और हत्या का आरोप है। पुलिस के अनुसार, रेणुकास्वामी ने कथित तौर पर पवित्रा को आपत्तिजनक संदेश भेजे थे, जिसके बाद उसे जून 2024 में बेंगलुरु के एक शेड में तीन दिन तक बंधक बनाकर बेरहमी से प्रताड़ित किया गया। बाद में उसका शव एक नाले से बरामद हुआ।
यह मामला कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री और आम जनता के बीच सनसनीखेज बन गया है और न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग को लेकर बहस तेज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी इस बात का संकेत है कि यह मामला आगे और गंभीर मोड़ ले सकता है।
इस मामले में अगली सुनवाई आने वाले हफ्तों में निर्धारित है।