सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 1984 सिख विरोधी दंगे के मामले में कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार और पूर्व पार्षद बलवान खोखर द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई 24 सितंबर तक स्थगित कर दी।
न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय विश्नोई की पीठ ने यह आदेश उस समय दिया जब मामले में सीबीआई की ओर से पेश होने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता उपलब्ध नहीं थे।
यह मामला दिल्ली के पालम कॉलोनी स्थित राज नगर पार्ट-1 में पांच सिखों की हत्या और राज नगर पार्ट-2 में एक गुरुद्वारे में आगजनी से जुड़ा है। यह घटनाएं 1-2 नवंबर 1984 को हुई थीं, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या के बाद राष्ट्रीय राजधानी में व्यापक हिंसा भड़की थी।

दिल्ली हाईकोर्ट ने 2018 में बलवान खोखर की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा और 2013 में ट्रायल कोर्ट से बरी किए गए सज्जन कुमार को दोषी ठहराया।
खोखर ने अपनी सजा में राहत की मांग करते हुए कहा है कि वह पहले ही लगभग 8.7 वर्ष की सजा काट चुके हैं। उनका जमानत आवेदन 3 फरवरी 2023 को अदालत ने खारिज कर दिया था। साथ ही, 26 सितंबर 2024 को जेल प्रशासन ने उनका फरलो (अस्थायी रिहाई) का अनुरोध यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि उनकी रिहाई से शांति-व्यवस्था भंग हो सकती है और समाज में अशांति फैल सकती है।
जुलाई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सीबीआई से जवाब मांगा था। कुमार ने भी अपनी सजा को चुनौती दी है।