मतदाता सूची में गड़बड़ी की SIT जांच वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज, अदालत ने कहा- अन्य विकल्प तलाशें

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया, जिसमें कई राज्यों की मतदाता सूचियों में कथित हेरफेर और विसंगतियों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) गठित करने की मांग की गई थी। यह याचिका नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा उठाए गए आरोपों का हवाला देते हुए दायर की गई थी। अदालत ने याचिकाकर्ता को अन्य कानूनी उपाय तलाशने की सलाह देते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जयमाल्य बागची की बेंच ने स्पष्ट किया कि इस याचिका पर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई नहीं की जा सकती। जस्टिस कांत ने याचिकाकर्ता से कहा, “आप जहां चाहें, अपने उपाय आजमाएं।” कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “जनहित में दायर की गई रिट याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा,” और याचिकाकर्ता को अन्य उपलब्ध कानूनी रास्ते तलाशने की स्वतंत्रता दी।

READ ALSO  पेंशन और ग्रेच्युटी को ना ही अटैच किया जा सकता है और न ही किसी सिविल कोर्ट के डिक्री के विनियोग के लिए रोका जा सकता है: तेलंगाना हाईकोर्ट

याचिका में उन गंभीर अनियमितताओं का विवरण दिया गया था, जिनके बारे में दावा किया गया था कि वे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की संवैधानिक गारंटी से समझौता करती हैं। इसमें विशेष रूप से बेंगलुरु के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र का उल्लेख किया गया, जहां कथित तौर पर 40,000 से अधिक अमान्य मतदाता, 10,000 से ज्यादा डुप्लिकेट प्रविष्टियां और एक जैसे घर के पते या पिता के नाम वाले हजारों मतदाता पाए गए। याचिका में तर्क दिया गया कि ऐसी गड़बड़ियां “एक व्यक्ति, एक वोट” के मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत को कमजोर करती हैं।

Video thumbnail

आरोप केवल कर्नाटक तक ही सीमित नहीं थे। याचिका में महाराष्ट्र का भी जिक्र था, जहां कथित तौर पर केवल चार महीनों में लगभग 39 लाख नए मतदाता जोड़े गए। चंद्रपुर में एक ही खाली पते पर करीब 80 मतदाता पंजीकृत दिखाए गए थे। इसके अलावा, कर्नाटक के कालाबुरागी में मतदाता सूची में संदिग्ध नाम जोड़े जाने के बाद दर्ज की गई एक प्राथमिकी (FIR) और एक 63 वर्षीय महिला का नाम उसकी सहमति के बिना हटा दिए जाने के मामले का भी उल्लेख किया गया।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट: विवाह में पति-पत्नी का एक-दूसरे से स्वतंत्र होना असंभव

याचिकाकर्ता ने दलील दी कि इस तरह की हेरफेर संविधान के अनुच्छेद 14, 21, 324, 325 और 326 का उल्लंघन है। यह भी कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा माना है। याचिका में मतदाता सूचियों में कथित हेरफेर की एक स्वतंत्र जांच और चुनाव आयोग को देश भर में मतदाता सूचियों को तैयार करने और बनाए रखने में पारदर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए बाध्यकारी निर्देश जारी करने का आग्रह किया गया था।

READ ALSO  सीईसी नियुक्ति विवाद के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने 2023 कानून के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई टाली
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles