सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की उस मांग को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने राज्यों के मुख्य सचिवों को आवारा कुत्तों के मामले में 3 नवंबर को वर्चुअली पेश होने की अनुमति देने का अनुरोध किया था। अदालत ने साफ कहा कि सभी मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होना होगा।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने यह निर्देश उस समय दिया जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने निवेदन किया कि पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर बाकी राज्यों के मुख्य सचिवों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने की अनुमति दी जाए।
पीठ ने यह अनुरोध ठुकराते हुए राज्य अधिकारियों के रवैये पर नाराजगी जताई।
न्यायमूर्ति नाथ ने कहा, “जब हम उनसे अनुपालन हलफनामा दाखिल करने को कहते हैं, तो वे इसे लेकर सोए रहते हैं। अदालत के आदेश का कोई सम्मान नहीं है। ठीक है, अब उन्हें खुद आना होगा।”
 
 सुप्रीम कोर्ट ने 27 अक्टूबर को निर्देश दिया था कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव (पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर) 3 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित हों और यह बताएं कि 22 अगस्त के आदेश के बावजूद अनुपालन हलफनामे क्यों दाखिल नहीं किए गए।
22 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले का दायरा दिल्ली-एनसीआर से बढ़ाकर पूरे देश तक कर दिया था और सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को पक्षकार बनाया था। अदालत ने सभी नगर निकायों को एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) नियमों के अनुपालन के लिए संसाधनों का ब्योरा — जैसे डॉग पाउंड, पशु चिकित्सक, कुत्ते पकड़ने वाले कर्मचारी, वाहनों और पिंजरों की संख्या — हलफनामे के रूप में दाखिल करने का निर्देश दिया था।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट द्वारा 28 जुलाई को लिए गए स्वतः संज्ञान से शुरू हुआ था, जब राष्ट्रीय राजधानी में आवारा कुत्तों के हमलों और बच्चों में रेबीज के मामलों की खबरें सामने आई थीं। अदालत ने इसे गंभीर जनहित का विषय मानते हुए पूरे देश में ABC नियमों के समान रूप से पालन की आवश्यकता पर जोर दिया था।
अब यह मामला 3 नवंबर को फिर से सूचीबद्ध होगा, जब सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित होकर अपनी रिपोर्ट देनी होगी।


 
                                     
 
        



