सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गायिका और सामाजिक कार्यकर्ता नेहा सिंह राठौर को निर्देश दिया कि वे पहेलगाम आतंकी हमले पर सोशल मीडिया पोस्ट के मामले में दर्ज एफआईआर को लेकर ट्रायल का सामना करें। अदालत ने उनकी वह याचिका खारिज कर दी जिसमें एफआईआर रद्द करने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति कुलदीप बिश्नोई की पीठ ने स्पष्ट किया कि वह मामले के गुण-दोष (merits) पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रही है और इस चरण में “देशद्रोह/राष्ट्र की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने” के आरोप में दखल देने का कोई आधार नहीं बनता।
पीठ ने कहा, “यह केवल क्वैशिंग (रद्द करने) को अस्वीकार करने का आदेश है। जाइए और ट्रायल का सामना कीजिए।” साथ ही नेहा को आरोप तय करने (framing of charges) के समय अपनी आपत्तियाँ उठाने की स्वतंत्रता दी गई।

नेहा ने 19 सितंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जिसमें एफआईआर रद्द करने से इनकार किया गया था। यह एफआईआर अप्रैल के अंतिम सप्ताह में हज़रतगंज थाने में अभय प्रताप सिंह की शिकायत पर दर्ज हुई थी।
शिकायत में आरोप लगाया गया था कि नेहा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में एक विशेष धार्मिक समुदाय को निशाना बनाया और देश की एकता को खतरे में डाला। सिंह ने कहा था कि नेहा ने “बार-बार धार्मिक आधार पर एक समुदाय को दूसरे के खिलाफ भड़काने का प्रयास किया”।
अपनी याचिका में नेहा ने दलील दी कि उन्हें भारतीय न्याय संहिता (BNS) की कई धाराओं के तहत गलत तरीके से फंसाया गया है, जिनमें सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाना, सार्वजनिक शांति भंग करना और देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालना शामिल है। उनके खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) के तहत भी आरोप दर्ज हैं।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब नेहा सिंह राठौर को संबंधित अदालत में मुकदमे की कार्यवाही का सामना करना होगा।