डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए और दिशानिर्देशों की मांग वाली याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कीं

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को डॉक्टरों पर बढ़ते हमलों के मद्देनज़र उनकी सुरक्षा के लिए और दिशानिर्देश जारी करने की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी. वरले की पीठ ने स्पष्ट किया कि सर्वोच्च न्यायालय से हर मामले की निगरानी की उम्मीद नहीं की जा सकती।

पीठ ने कहा कि डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर पहले से ही पर्याप्त दिशानिर्देश जारी किए जा चुके हैं और यदि उनका पालन नहीं होता है तो संबंधित पक्ष उचित विधिक उपायों का सहारा ले सकते हैं। वर्ष 2022 में दाखिल तीन याचिकाओं पर सुनवाई हो रही थी, जिनमें डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर अधिक प्रभावी उपायों की मांग की गई थी।

READ ALSO  आरक्षित श्रेणी का उम्मीदवार यदि सामान्य श्रेणी में योग्यता पर चयनित होता है तो उसे अपनी आरक्षित श्रेणी के कोटे में नहीं गिना जाएगा: सुप्रीम कोर्ट

न्यायमूर्ति वरले ने कहा, “आप सुप्रीम कोर्ट से यह अपेक्षा नहीं कर सकते कि वह हर एक घटना की निगरानी करे।” अधिवक्ताओं द्वारा हाल ही में हुई घटनाओं का हवाला देने पर अदालत ने पहले जारी अपने आदेशों की ओर इशारा करते हुए कहा कि उनका पालन न होना अवमानना की श्रेणी में आएगा।

Video thumbnail

सुनवाई के दौरान राजस्थान के दौसा जिले की एक महिला स्त्रीरोग विशेषज्ञ का मामला भी उठा, जिन्होंने कथित रूप से एक प्रसूता की मौत के बाद भीड़ द्वारा उत्पीड़न के चलते आत्महत्या कर ली थी। इस घटना की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका भी अदालत में दायर की गई थी।

वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरणारायणन ने एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश होते हुए कहा कि अदालत के आदेशों के बावजूद ज़मीनी स्तर पर सुधार नहीं हो रहा है। इस पर न्यायालय ने कहा, “क्या आप सभी पुलिस स्टेशनों पर सामान्य आरोप लगा सकते हैं?”

READ ALSO  2007 नफरत फैलाने वाला भाषण: सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें आजम खान को आवाज का नमूना देने का निर्देश दिया गया था

जब अधिवक्ता ने पुलिस अधिकारियों को संवेदनशीलता से प्रशिक्षित करने की बात कही, तो अदालत ने स्पष्ट किया कि यह एक नीतिगत मामला है और इस पर निर्णय संसद को लेना है।

अंत में अदालत ने याचिकाकर्ताओं को संबंधित उच्च न्यायालय का रुख करने की सलाह दी। वहीं, शंकरणारायणन ने इस मामले को दिल्ली हाईकोर्ट स्थानांतरित करने का अनुरोध किया, क्योंकि चार राज्यों ने जवाब दाखिल किए हैं, लेकिन पीठ ने राजस्थान से संबंधित मामले में क्षेत्राधिकार के अभाव का हवाला देते हुए यह मांग ठुकरा दी।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने सीईसी की मंजूरी मिलने तक कोलकाता मेट्रो परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles