यह मामला 7 नवंबर, 2000 को गुजरात के गोधरा में हुई एक दुखद घटना से जुड़ा है। विवाद की जड़ एक वैवाहिक संघर्ष था, जो अब्बासभाई इदरीशभाई मितिबोरेवाला और उनकी पत्नी ओनेजाबेन, जो असगराली ओनाली लोखंडवाला की बेटी थी, के बीच हुआ था। घटना वाले दिन अब्बासभाई अपनी पत्नी को वापस घर लाने के लिए अपने ससुर असगराली के घर गए थे, लेकिन उनकी पत्नी वापस लौटने से इंकार कर रही थी। इससे दोनों के बीच तीखी बहस हुई, जो हिंसक झगड़े में बदल गई और इस झगड़े का दुखद अंत अब्बासभाई के पिता इदरीशभाई फिदाली मितिबोरेवाला की मौत के साथ हुआ।
कानूनी मुद्दे:
इस मामले में मुख्य कानूनी मुद्दा भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत आरोपों की उपयुक्तता से संबंधित था। ट्रायल कोर्ट ने आरोपी असगराली ओनाली लोखंडवाला और उनके बेटे हुसैनभाई असगराली लोखंडवाला को IPC की धारा 304 भाग I के तहत दोषी ठहराया था, जो हत्या के बराबर नहीं होने वाली जानलेवा चोट के इरादे से किए गए कृत्य को दर्शाता है। बाद में हाई कोर्ट ने इस दोषसिद्धि को IPC की धारा 304 भाग II में बदल दिया, जिसमें यह माना गया कि जबकि यह कृत्य इस ज्ञान के साथ किया गया था कि इससे मृत्यु हो सकती है, परंतु मृत्यु या जानलेवा चोट का इरादा नहीं था।
कोर्ट का निर्णय:
सुप्रीम कोर्ट, जिसमें जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुयान शामिल थे, ने क्रिमिनल अपील नंबर 1691, 1692, 1693-1695 की अपीलों की समीक्षा की। कोर्ट के विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकला कि घटना पूर्वनियोजित नहीं थी, बल्कि गुस्से के उबाल में हो गई थी, और इस दुखद नतीजे में आरोपी हुसैनभाई, जो उस समय केवल 18 वर्ष का था, की भावनाओं की बड़ी भूमिका थी।
कोर्ट ने यह भी माना कि वैवाहिक विवाद की वजह से झगड़ा बढ़ा और हुसैनभाई ने अत्यधिक भावुक स्थिति में इदरीशभाई को घातक रूप से चाकू मार दिया और अब्बासभाई के भाई को घायल कर दिया। इन परिस्थितियों को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की ओर से धारा 304 भाग I से 304 भाग II IPC में बदलाव को बरकरार रखते हुए, हुसैनभाई की सजा को पहले से भुगती गई अवधि तक घटा दिया।
महत्वपूर्ण टिप्पणियां:
जस्टिस उज्जल भुयान ने कहा, “पूरा घटना क्रम गुस्से के उबाल में हुआ और दोनों पक्ष अपने गुस्से पर काबू नहीं रख सके, जिसके परिणामस्वरूप यह दुखद घटना हुई।” इस टिप्पणी ने कोर्ट के सजा को घटाने के फैसले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कोर्ट ने हुसैनभाई की युवा उम्र और उसकी भावनात्मक स्थिति को मान्यता दी, यह कहते हुए कि उसकी बहन और उसके ससुराल वालों के बीच तनावपूर्ण संबंधों से उत्पन्न तनाव ने संभवतः उसे अभिभूत कर दिया, जिससे यह दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम हुआ।
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मामले का विवरण:
– मामला संख्या: क्रिमिनल अपील संख्या 1691/2023
– पीठ: जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुयान
– अपीलकर्ता: हुसैनभाई असगराली लोखंडवाला
– उत्तरदात्री: गुजरात राज्य
– वकील: श्री निखिल गोयल ने अपीलकर्ता का प्रतिनिधित्व किया, जबकि सुश्री अर्चना पाठक दवे गुजरात राज्य की ओर से पेश हुईं, और सुश्री मीनाक्षी अरोड़ा ने सूचना देने वाले का प्रतिनिधित्व किया।