पसंद न हो तब भी जरूरी है अभिव्यक्ति की आज़ादी: सुप्रीम कोर्ट से इमरान प्रतापगढ़ी को बड़ी राहत, FIR रद्द

एक अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और शायर इमरान प्रतापगढ़ी को बड़ी राहत दी है। गुजरात के जामनगर में उनके खिलाफ दर्ज की गई FIR को कोर्ट ने रद्द कर दिया है। यह FIR उस वीडियो के आधार पर दर्ज हुई थी जिसमें एक शादी समारोह के दौरान बैकग्राउंड में उनकी कविता चल रही थी। इससे पहले गुजरात हाई कोर्ट ने FIR रद्द करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद प्रतापगढ़ी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि किसी भी स्वस्थ समाज के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बेहद जरूरी है। संविधान का अनुच्छेद 21, जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा की गारंटी देता है, मजबूत लोकतंत्र की नींव है। जस्टिस अभय ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की पीठ ने कहा कि यदि व्यक्त की गई राय बहुमत को पसंद नहीं भी आती, तब भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा होनी चाहिए। यह सिद्धांत कविता, नाटक, फिल्म, व्यंग्य और अन्य कला के माध्यमों पर भी लागू होता है।

READ ALSO  हाई कोर्ट का रेप केस पुरुष से महिला जज को ट्रांसफर करने से इनकार, कहा- महज आशंका पर नहीं किया जा सकता

अदालत ने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19(1) में दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करना न्यायपालिका का दायित्व है। भले ही कई बार न्यायाधीशों को कुछ शब्द या अभिव्यक्तियाँ पसंद न आएं, फिर भी संविधान की गरिमा और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना उनकी जिम्मेदारी है।

Video thumbnail

इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 196, 197, 299, 302 और 507 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। उन पर वैमनस्य फैलाने, उकसाने और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने के आरोप लगे थे। 17 जनवरी को गुजरात हाई कोर्ट ने FIR रद्द करने से इनकार करते हुए कहा था कि सांसद को इस तरह की पोस्ट के प्रभाव का अंदाज़ा होना चाहिए और ऐसे पोस्ट से बचना चाहिए। साथ ही यह भी कहा गया था कि मामले की जांच जरूरी है। हाई कोर्ट ने यह भी दर्ज किया था कि प्रतापगढ़ी पुलिस के समन के बावजूद उनके सामने पेश नहीं हुए।

प्रतापगढ़ी ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने 25 जनवरी को उन्हें अंतरिम जमानत देते हुए कहा था कि पुलिस को भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के महत्व को समझना चाहिए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वीडियो में चल रही कविता का संदेश अहिंसा की ओर इशारा करता है। 3 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे अब सुनाया गया है।

READ ALSO  Supreme Court Grants Relief to Woman Army Officer: Upholds Right to Parity with Fellow Officers

जिस वीडियो को लेकर विवाद हुआ, वह प्रतापगढ़ी ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर किया था। यह एक शादी समारोह का वीडियो था, जिसमें बैकग्राउंड में कविता चल रही थी—”ऐ खून के प्यासे बात सुनो”—इसी कविता के चलते उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई थी।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles