सहकारी समिति धोखाधड़ी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अभिनेता श्रेयस तलपड़े और आलोक नाथ को गिरफ्तारी से संरक्षण दिया

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सहकारी समिति से जुड़े धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के एक मामले में अभिनेता श्रेयस तलपड़े और आलोक नाथ को जांच पूरी होने तक गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया।

न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने श्रेयस तलपड़े द्वारा दायर रिट याचिका का निपटारा करते हुए उनके खिलाफ जांच पूरी होने तक गिरफ्तारी से संरक्षण देने वाला अंतरिम आदेश जारी रखा। अदालत दोनों अभिनेताओं द्वारा विभिन्न राज्यों में दर्ज एफआईआर को एक साथ जोड़ने (क्लबिंग) की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

सुनवाई के दौरान तलपड़े की ओर से पेश अधिवक्ता ने दलील दी कि अभिनेता केवल कंपनी के वार्षिक कार्यक्रम में अतिथि कलाकार के रूप में शामिल हुए थे और उन्हें सोसायटी के कार्यकलापों की कोई जानकारी नहीं थी। अधिवक्ता ने कहा, “मुझे इसके बारे में जानने की कोई जिम्मेदारी नहीं थी। मैंने कोई पैसा नहीं कमाया।”

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वहीं आलोक नाथ की ओर से कहा गया कि अभिनेता किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे और उनकी तस्वीर पिछले 10 वर्षों से इस्तेमाल की जा रही है।

पीठ ने इस दौरान एक व्यापक सवाल उठाते हुए कहा कि यदि कोई शीर्ष अभिनेता या क्रिकेटर किसी कॉरपोरेट कंपनी का विज्ञापन करता है या ब्रांड एंबेसडर के रूप में जुड़ा होता है और बाद में वह कंपनी परिसमापन में चली जाती है या उसके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होते हैं, तो क्या उस अभिनेता या खिलाड़ी के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है।

अदालत ने कहा, “हम इस रिट याचिका (श्रेयस तलपड़े द्वारा दायर) का निपटारा करते हुए जांच पूरी होने तक गिरफ्तारी से संरक्षण देने वाले अंतरिम आदेश को जारी रखते हैं।”

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यह मामला 37 वर्षीय सोनीपत निवासी विपुल अंतिल की शिकायत से जुड़ा है, जिसके आधार पर 13 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया, जिनमें श्रेयस तलपड़े और आलोक नाथ भी शामिल हैं। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि दोनों अभिनेताओं ने ह्यूमन वेलफेयर क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड का ब्रांड एंबेसडर के रूप में प्रचार किया।

पुलिस के अनुसार, यह आरोप लगाया गया है कि प्रसिद्ध व्यक्तियों के नाम और तस्वीरों के कारण निवेशक सोसायटी में निवेश करने के लिए आकर्षित हुए। पुलिस ने कहा, “उन्हें शिकायत में नामजद किया गया है। एफआईआर दर्ज की गई है। अब यह जांच की जाएगी कि उनकी भूमिका क्या थी।”

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एफआईआर 22 जनवरी को भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 316(2), 318(2) और 318(4) के तहत दर्ज की गई है, जिनमें आपराधिक विश्वासघात और धोखाधड़ी जैसे आरोप शामिल हैं। पुलिस का आरोप है कि सोसायटी ने वित्तीय योजनाओं के माध्यम से जनता से धोखाधड़ी का गंभीर अपराध किया है।

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