सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 13 जून को अभिनेता कमल हासन अभिनीत एवं मणिरत्नम निर्देशित तमिल फीचर फिल्म ठग लाइफ की कर्नाटक में स्क्रीनिंग पर लगाए गए कथित “गैर-न्यायिक प्रतिबंध” को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी किया। यह याचिका महेश रेड्डी नामक याचिकाकर्ता द्वारा अनुच्छेद 32 के तहत दायर की गई थी। न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मनमोहन की खंडपीठ ने इस मामले को आगामी मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
याचिका में कहा गया है कि ठग लाइफ को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) से प्रमाणन प्राप्त होने के बावजूद, कर्नाटक सरकार ने बिना किसी आधिकारिक निषेधाज्ञा या प्राथमिकी (FIR) दर्ज किए, मौखिक निर्देशों और पुलिस हस्तक्षेप के माध्यम से इसकी सिनेमाघरों में रिलीज को रोक दिया है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता ए. वेलन ने दलील दी कि राज्य सरकार का यह कदम संविधान के अनुच्छेद 19(1)(क) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर असंवैधानिक प्रतिबंध है। उन्होंने तर्क दिया कि कर्नाटक सरकार ने पूरी तरह से उन उग्र तत्वों के आगे समर्पण कर दिया है जो भाषाई अल्पसंख्यकों पर हमले कर रहे हैं और सिनेमाघरों को जलाने की धमकियां दे रहे हैं।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा:
“यह तर्क दिया गया है कि CBFC द्वारा प्रमाणित एक तमिल फीचर फिल्म ठग लाइफ को कर्नाटक राज्य में सिनेमाघरों में प्रदर्शित नहीं होने दिया जा रहा है। हिंसा की धमकी के आधार पर लगाया गया यह तथाकथित प्रतिबंध किसी वैधानिक प्रक्रिया से उत्पन्न नहीं हुआ है, बल्कि यह एक जानबूझकर फैलाए गए आतंक अभियान का परिणाम है, जिसमें सिनेमा हॉलों को आग लगाने की स्पष्ट धमकियां और भाषाई अल्पसंख्यकों को लक्षित कर बड़े पैमाने पर हिंसा को भड़काने की बात शामिल है। प्रकट की गई तात्कालिकता और प्रस्तुत मुद्दे को ध्यान में रखते हुए, हम प्रतिवादी को नोटिस जारी करते हैं।”
याचिकाकर्ता के अधिवक्तागण:
- ए. वेलन (एओआर)
- नवप्रीत कौर
- निलय राय
- प्रिंस सिंह