सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस 2023 के विधानसभा चुनाव में वरुणा निर्वाचन क्षेत्र से उनकी जीत को चुनौती देने वाली याचिका पर जारी किया गया है। शीर्ष अदालत ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता से इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।
मामले की सुनवाई जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ के समक्ष हुई। पीठ ने याचिकाकर्ता के. शंकर द्वारा दायर अपील पर विचार करते हुए संक्षिप्त आदेश में कहा, “नोटिस जारी किया जाए।” इस आदेश के साथ ही कानूनी प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिसके तहत मुख्यमंत्री को अब अपने निर्वाचन के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर अपना पक्ष रखना होगा।
याचिकाकर्ता के. शंकर ने अपनी याचिका में सिद्धारमैया के चुनाव को अमान्य और शून्य घोषित करने की मांग की है। चुनौती का मुख्य आधार चुनाव संचालन में कथित अनियमितताएं हैं। याचिका में आरोप लगाया गया है कि सिद्धारमैया ने चुनाव जीतने के लिए जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (Representation of the People Act, 1951) के प्रावधानों के तहत “भ्रष्ट आचरण” (corrupt practice) का सहारा लिया था।
याचिकाकर्ता का तर्क है कि ये वैधानिक उल्लंघन इतने गंभीर हैं कि इनके आधार पर वरुणा निर्वाचन क्षेत्र से मुख्यमंत्री के निर्वाचन को रद्द कर दिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचने से पहले यह मामला कर्नाटक हाईकोर्ट के समक्ष था। 22 अप्रैल को हाईकोर्ट ने के. शंकर की उस चुनाव याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें सिद्धारमैया को अयोग्य ठहराने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट के उस फैसले से असंतुष्ट होकर याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने यह नोटिस जारी किया।
अब प्रतिवादी (सिद्धारमैया) द्वारा अपना जवाबी हलफनामा दायर करने के बाद मामले में आगे की सुनवाई होगी।

