सरकारी कर्मचारियों के लिए Increment का दावा: सेवानिवृत्ति से एक दिन पहले अर्जित वेतनवृद्धि पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, अन्य कर्मचारियों पर Prospective रूप से लागू होगा

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट किया है कि सरकारी कर्मचारी जो अपनी अंतिम वेतनवृद्धि प्राप्त करने के अगले दिन सेवानिवृत्त होते हैं, उनके पेंशन लाभों की गणना कैसे होगी। शीर्ष अदालत ने निर्णय दिया कि केवल उन कर्मचारियों को पूर्ण बकाया राशि मिलेगी जिन्होंने पहले ही अपने मामले जीत लिए हैं, जबकि अन्य सेवानिवृत्त कर्मचारियों को यह लाभ 1 मई 2023 से Prospective रूप से मिलेगा।

यह फैसला मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ द्वारा 20 फरवरी 2025 को सुनाया गया, जिससे हजारों सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों के लिए लंबे समय से विवादित इस मुद्दे पर स्पष्टता आई है।

फैसले का संदर्भ

इस फैसले से उन कर्मचारियों के पेंशन दावों पर कानूनी अस्पष्टता समाप्त हो गई है, जो अपनी अंतिम वेतन वृद्धि प्राप्त करने के बाद तुरंत सेवानिवृत्त हो गए थे। सरकार ने अदालत से यह स्पष्ट करने की मांग की थी कि ऐसे कर्मचारियों को पेंशन लाभ पूर्वव्यापी (Retrospective) प्रभाव से दिए जाने चाहिए या केवल Prospective रूप से लागू होंगे।

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सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय के जरिए उन कर्मचारियों के लिए न्याय सुनिश्चित किया, जिन्होंने सक्रिय रूप से कानूनी लड़ाई लड़ी, जबकि सरकार पर वित्तीय बोझ को सीमित किया।

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मामले की पृष्ठभूमि

मामला “यूनियन ऑफ इंडिया एवं अन्य बनाम एम. सिद्दाराज” से जुड़ा हुआ था, जिसमें यह सवाल उठा कि क्या सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति से ठीक पहले प्राप्त अंतिम वेतनवृद्धि के आधार पर बढ़ी हुई पेंशन दी जानी चाहिए।

कई उच्च न्यायालयों और केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) ने कर्मचारियों के पक्ष में फैसला देते हुए सरकार को उनकी पेंशन पुनर्गणना करने और वेतनवृद्धि का लाभ शामिल करने का निर्देश दिया था। हालांकि, सरकार ने इन फैसलों को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि यह लाभ उन सभी सेवानिवृत्त कर्मचारियों को स्वचालित रूप से नहीं दिया जा सकता, विशेष रूप से उन लोगों को जिन्होंने पहले कभी कानूनी कार्रवाई नहीं की।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय और प्रमुख निष्कर्ष

शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि यह लाभ किन कर्मचारियों को मिलेगा और यह कब से लागू होगा।

1. तीसरे पक्ष (अन्य कर्मचारियों) पर Prospective रूप से लागू होगा

वे सेवानिवृत्त कर्मचारी, जिन्होंने पहले से इस विषय पर कोई याचिका दायर नहीं की या कानूनी राहत प्राप्त नहीं की, उन्हें यह लाभ 1 मई 2023 से Prospective रूप से मिलेगा। इससे पहले की अवधि के लिए कोई बकाया राशि नहीं दी जाएगी।

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“11.04.2023 को दिए गए निर्णय का तीसरे पक्ष (अन्य कर्मचारियों) पर प्रभाव 01.05.2023 से ही होगा। 30.04.2023 से पहले की बढ़ी हुई पेंशन का भुगतान नहीं किया जाएगा।”

2. पहले से मामले जीत चुके कर्मचारियों को पूर्ण लाभ

जिन कर्मचारियों ने पहले से ही उच्च न्यायालय, CAT, या सर्वोच्च न्यायालय में अपने केस जीत लिए थे, उन्हें पूर्ण पेंशन पुनर्गणना और बकाया राशि मिलेगी।

“जिन लोगों ने पहले से याचिका दायर कर जीत हासिल की है, उनके मामले में यह निर्णय Res Judicata के रूप में लागू होगा और उन्हें एक वेतनवृद्धि के आधार पर बढ़ी हुई पेंशन मिलेगी।”

3. अपील लंबित होने पर तत्काल लाभ नहीं मिलेगा

जिन कर्मचारियों के मामले अभी भी किसी अपीलीय अदालत में लंबित हैं, उन्हें यह लाभ तभी मिलेगा जब उनकी अपील का अंतिम निर्णय आ जाएगा।

“यह लाभ उन मामलों में लागू नहीं होगा जहां अभी निर्णय लंबित है या अपील दायर की गई है।”

4. देर से आवेदन करने वाले कर्मचारियों को सीमित लाभ

जो कर्मचारी सर्वोच्च न्यायालय के पिछले निर्णय के बाद अपने मामले में हस्तक्षेप (Intervention) के लिए आवेदन दायर कर चुके हैं, उन्हें केवल उनके आवेदन की तारीख से तीन साल पहले तक का ही पेंशन लाभ मिलेगा, संपूर्ण बकाया राशि नहीं।

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“यदि किसी कर्मचारी ने CAT, उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में हस्तक्षेप या नई याचिका दायर की है, तो उन्हें केवल तीन वर्षों की पिछली अवधि के लिए बढ़ी हुई पेंशन दी जाएगी।”

5. पहले से भुगतान की गई अतिरिक्त राशि की वसूली नहीं होगी

यदि सरकार ने पहले से ही किसी कर्मचारी को अधिक राशि का भुगतान कर दिया है, तो उसे वापस नहीं लिया जाएगा।

“यदि पहले ही किसी कर्मचारी को बढ़ी हुई पेंशन या बकाया राशि दी जा चुकी है, तो सरकार इसे वापस नहीं लेगी।”

6. गैर-अनुपालन (Non-Compliance) के मामले में उपाय

अगर सरकार इस फैसले को लागू नहीं करती है और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को लाभ नहीं मिलता, तो उन्हें पहले संबंधित विभागों से संपर्क करना होगा। यदि समस्या बनी रहती है, तो वे प्रशासनिक अधिकरण (CAT) या उच्च न्यायालय में शिकायत कर सकते हैं।

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