सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण आदेश में उत्तर प्रदेश सरकार और इलाहाबाद हाईकोर्ट की कड़ी आलोचना की और नवजात शिशु की तस्करी से जुड़े एक मामले में लापरवाही बरतने पर गंभीर चिंता जताई। अदालत ने बाल तस्करी के मामलों में शीघ्र सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए देशव्यापी दिशानिर्देश जारी किए और निर्देश दिया कि ऐसे सभी मामलों का निपटारा छह महीने के भीतर किया जाए।
सुनवाई और अदालत की नाराज़गी
जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा आरोपी को दी गई अग्रिम जमानत रद्द करते हुए कहा कि “सभी आरोपी आत्मसमर्पण करें और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा जाए। सेशंस कोर्ट में मामला भेजे जाने के एक सप्ताह के भीतर आरोप तय किए जाएं।”

हाईकोर्ट और राज्य सरकार की आलोचना
अदालत ने हाईकोर्ट के रवैये पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “हाईकोर्ट ने बेल एप्लिकेशन को लापरवाही से निपटाया, जिससे कई आरोपी फरार हो गए। ऐसे आरोपी समाज के लिए खतरा हैं। हाईकोर्ट को कम से कम यह शर्त लगानी चाहिए थी कि आरोपी स्थानीय पुलिस स्टेशन में हाजिरी दें।”
यूपी सरकार के प्रति असंतोष व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम बेहद निराश हैं कि यूपी सरकार ने इस मामले को किस तरह हैंडल किया। न अपील दायर की गई, न कोई गंभीरता दिखाई गई।”
अस्पताल का लाइसेंस तत्काल निलंबित करने का निर्देश
यदि किसी अस्पताल से नवजात शिशु की तस्करी होती है तो सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि “सबसे पहला कदम ऐसे अस्पताल का लाइसेंस सस्पेंड करना होना चाहिए।” कोर्ट ने कहा कि यदि किसी महिला ने अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया और बच्चा चोरी हो गया, तो अस्पताल की जिम्मेदारी तय करते हुए लाइसेंस तुरंत निलंबित किया जाए।
देशभर में ट्रायल की निगरानी और सख्त दिशानिर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने बाल तस्करी से जुड़े मामलों में समयबद्ध ट्रायल सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित अनिवार्य निर्देश जारी किए:
- सभी हाईकोर्ट बाल तस्करी से जुड़े लंबित मामलों की स्थिति रिपोर्ट मंगवाएं और छह महीने में ट्रायल पूरा करने के लिए अधीनस्थ अदालतों को निर्देश दें।
- ऐसे मामलों में दिन-प्रतिदिन सुनवाई अनिवार्य होगी।
- इन निर्देशों का पालन न करने पर अवमानना की कार्यवाही की जाएगी।
- वाराणसी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) और अतिरिक्त CJM को निर्देश दिया गया कि वे दो सप्ताह में केस सेशंस कोर्ट को सौंपें।
- राज्य सरकार तीन विशेष लोक अभियोजक नियुक्त करे।
- सभी गवाहों को पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए।
- पीड़ित बच्चों को ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता’ (BNSS) और यूपी राज्य कानून के तहत मुआवजा दिया जाए।
- तस्करी से मुक्त कराए गए बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून (RTE) के तहत स्कूल में दाखिला दिलवाया जाए और शिक्षा की निरंतरता सुनिश्चित की जाए।
4 लाख में बच्चा बेचा गया था
कोर्ट ने मामले की गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा कि आरोपी ने ₹4 लाख में एक नवजात लड़का खरीदा था। “यदि आपको पुत्र चाहिए… तो आप तस्करी के ज़रिये बच्चा नहीं ले सकते। आरोपी को पता था कि बच्चा चोरी हुआ है।”
TOI की रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान
सुप्रीम कोर्ट ने The Times of India में प्रकाशित एक रिपोर्ट के आधार पर स्वतः संज्ञान लेते हुए दिल्ली और उसके बाहर सक्रिय बाल तस्करी गिरोहों पर कार्रवाई की स्थिति की रिपोर्ट तलब की है। संबंधित पुलिस अधिकारी को निर्देश दिया गया है कि वह अब तक उठाए गए कदमों की रिपोर्ट पेश करे।
इस मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल 2025 को निर्धारित की गई है।