सुप्रीम कोर्ट ने आईआईटी बॉम्बे में दाखिले के लिए आवंटित हुई सीटों की वेबसाइट पर गलत लिंक पर क्लिक हो जाने से सीट गवा चुके आगरा निवासी छात्र सिद्धांत बन्ना को राहत देते हुए दाखिला देने का निर्देश दिया है। आपको बता दे जिस लिंक पर गलती से क्लिक किया था उसका मतलब होता है कि छात्र दाखिले की प्रक्रिया से अलग होना चाहता है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने छात्र सिद्धांत के पक्षकार वकील की दलीलों को सुनने के बाद आईआईटी बॉम्बे को अस्थायी तौर पर दाखिला देने का निर्देश दिया है। साथ ही छात्र की याचिका पर आईआईटी बॉम्बे को नोटिस जारी किया है।
इससे पहले छात्र ने बॉम्बे हाई कोर्ट से गुहार लगाई थी जहाँ से उसे मायूसी हाथ लगी थी। जिसके बाद छात्र ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया ।अपनी याचिका में छात्र ने कहा था कि उसे आईआईटी बॉम्बे को दाखिला देने का निर्देश दिया जाय। जेईई एडवांस एग्जाम में 270 वीं रैंक हासिल करने वाले छात्र ने मानवीय आधार पर दाखिला देने की अपील की थी।
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छात्र ने अपनी याचिका में इस बात का भी जिक्र किया कि उसके माता पिता का देहांत हो जाने के बाद से वह अपने नाना नानी के साथ रहता है। उसने बहुत आर्थिक तंगी और परेशानियों से परीक्षा में सफलता हासिल की है। जब वह छोटा ही था तभी उसके पिता की मृत्यु हो गई थी। उसके बाद माँ ने उसका पालन पोषण किया। साल 2018 में माँ भी गुजर गई। जिसके बाद नाना नानी ने उसकी परवरिश कर रहे हैं।
छात्र के अनुसार 31 अक्टूबर को वह ऑनलाइन दाखिले की प्रक्रिया कर रहा था। उसी दौरान गलती से उससे गलत लिंक पर क्लिक हो गया। उस लिंक को दबाने का अर्थ है कि वह दाखिला नही लेना चाहता।
इससे पूर्व में छात्र ने बॉम्बे हाई कोर्ट ने उसकी याचिका पर गौर फरमाने के बाद आईआईटी के सिदान्तों के प्रतिवेदन पर विचार कर उचित आदेश पारित करने के लिए कहा था। जिस पर आईआईटी बॉम्बे ने प्रतिक्रिया दी थी कि उसकी सीटें भर चुकी है। और वह नियमों से बंधा हुआ है। आईआईटी ने यह भी कहा की प्रक्रिया दो चरणों की थी। ऐसे में यह कहना कि अनजाने में लिंक पर क्लिक हो गया सही नही लगता।