सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पूर्व आईएएस प्रोबेशनर पूजा खेडकर को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया, जो यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी और आरक्षण लाभों के दुरुपयोग के आरोपों में उलझी हुई हैं। खेडकर द्वारा अग्रिम जमानत के लिए दायर याचिका के बाद जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने आदेश जारी किया, जिसमें 14 फरवरी तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई गई है।
खेडकर के खिलाफ मामले में आरोप है कि उन्होंने 2022 यूपीएससी परीक्षा में ओबीसी और विकलांगता कोटे के तहत लाभ उठाने के लिए गलत जानकारी दी। शीर्ष अदालत ने अब दिल्ली सरकार और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को नोटिस जारी कर मामले पर जवाब मांगा है।
खेडकर ने सभी आरोपों का जोरदार खंडन करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी आवेदन प्रक्रिया के दौरान किसी भी धोखाधड़ी वाली गतिविधि में शामिल नहीं थीं। उनकी याचिका पर सुनवाई 14 फरवरी को जारी रहने वाली है, जहां अग्रिम जमानत पर आगे विचार-विमर्श होगा।