सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फोन टैपिंग मामले में आरोपी पूर्व तेलंगाना स्पेशल इंटेलिजेंस ब्यूरो (SIB) प्रमुख टी. प्रभाकर राव की पुलिस हिरासत 25 दिसंबर तक बढ़ा दी। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि पूछताछ पूरी होने के बाद 26 दिसंबर को उन्हें रिहा कर दिया जाएगा।
न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि अगली सुनवाई तक राव के खिलाफ कोई भी दमनात्मक कार्रवाई नहीं की जाए। मामले की अगली सुनवाई 16 जनवरी को तय की गई है।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि राव ने आत्मसमर्पण तो कर दिया है, लेकिन जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। उन्होंने एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करते हुए पुलिस हिरासत को एक सप्ताह के लिए बढ़ाने का अनुरोध किया। मेहता ने आरोप लगाया कि राव ने कथित रूप से माओवादी गतिविधियों की निगरानी के नाम पर लक्षित व्यक्तियों की अवैध निगरानी कराई।
वहीं, राव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने पुलिस कार्रवाई का विरोध करते हुए कहा कि पूर्व SIB प्रमुख को पूछताछ के नाम पर परेशान किया जा रहा है और उनसे सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक लगातार सवाल किए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद राव ने 12 दिसंबर को सुबह करीब 11 बजे हैदराबाद के जुबली हिल्स पुलिस थाने में जांच अधिकारी के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। तेलंगाना सरकार का आरोप है कि अदालत के आदेश के बावजूद राव अब भी अपने iCloud अकाउंट्स की जानकारी साझा नहीं कर रहे हैं।
इससे पहले, 29 मई को सुप्रीम कोर्ट ने राव को अंतरिम राहत देते हुए उनके खिलाफ किसी भी दमनात्मक कार्रवाई पर रोक लगाई थी और यह भी निर्देश दिया था कि पासपोर्ट मिलने के तीन दिन के भीतर वह भारत लौटने का लिखित आश्वासन दें। राव ने इस मामले में तेलंगाना हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।
फोन टैपिंग मामले में 22 मई को हैदराबाद की एक अदालत ने राव के खिलाफ उद्घोषणा आदेश जारी किया था। आदेश में कहा गया था कि यदि वह 20 जून तक अदालत में पेश नहीं होते हैं, तो उन्हें ‘घोषित अपराधी’ घोषित किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में अदालत आरोपी की संपत्तियों की कुर्की का आदेश भी दे सकती है।
यह मामला कथित तौर पर पूर्व BRS सरकार के कार्यकाल के दौरान अवैध फोन टैपिंग और डिजिटल सबूतों को नष्ट करने से जुड़ा है। मार्च 2024 से अब तक हैदराबाद पुलिस ने SIB के एक निलंबित डीएसपी सहित चार पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। इन पर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से खुफिया जानकारियां मिटाने और अवैध फोन टैपिंग के आरोप लगे थे। बाद में सभी को जमानत मिल गई।
पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए SIB के संसाधनों का दुरुपयोग किया और विभिन्न वर्गों के नागरिकों को अवैध रूप से निगरानी में रखा। आरोप है कि बिना किसी अधिकृत अनुमति के लोगों की प्रोफाइल तैयार की गई, उनकी गुप्त निगरानी की गई और बाद में राजनीतिक फायदे के लिए इन सूचनाओं का इस्तेमाल किया गया। पुलिस ने यह भी दावा किया है कि आरोपियों ने अपने कथित अपराधों से जुड़े रिकॉर्ड और सबूत नष्ट करने की साजिश रची।

