सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तेलंगाना सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगाने वाले तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। यह आदेश स्थानीय निकायों में पिछड़ा वर्ग (बीसी) के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने से संबंधित था।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने 9 अक्टूबर 2025 के तेलंगाना हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के खिलाफ दायर राज्य सरकार की याचिका को खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अंतरिम रोक लगाई थी और राज्य को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।

याचिकाकर्ताओं ने 26 सितंबर 2025 को जारी सरकारी आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत स्थानीय निकायों में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण 42 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया था। उनका कहना था कि इस कदम से कुल आरक्षण 67 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन है। याचिकाकर्ताओं ने इंद्रा साहनी बनाम भारत संघ सहित शीर्ष अदालत के कई अहम फैसलों का हवाला दिया।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा तेलंगाना सरकार की याचिका खारिज किए जाने के बाद हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश फिलहाल लागू रहेगा।