सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (22 जुलाई) को उस जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें राजनीतिक दलों द्वारा तिरंगे से मिलते-जुलते झंडों के इस्तेमाल को चुनौती दी गई थी। इन झंडों में राष्ट्रीय ध्वज के अशोक चक्र की जगह पार्टी के चिन्ह लगाए जाते हैं।
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस एजी मसीह और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की, जिसे एक याचिकाकर्ता ने व्यक्तिगत रूप से दायर किया था। याचिकाकर्ता का तर्क था कि खासतौर पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) लंबे समय से तिरंगे जैसे झंडों का राजनीतिक अभियानों में इस्तेमाल कर रही है, जो ‘राष्ट्र गौरव अपमान निवारण अधिनियम’ (Prevention of Insults to National Honour Act) का उल्लंघन है।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की, “कब से ऐसा हो रहा है? कुछ पार्टियां तो यह आज़ादी से पहले से कर रही हैं,” और मामले को यहीं खारिज कर दिया।

याचिका में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, भारत निर्वाचन आयोग (ECI) और केंद्र सरकार को पक्षकार बनाया गया था।
इस याचिका की खारिजी ऐसे वक्त में हुई है जब राष्ट्रीय प्रतीकों के राजनीतिक इस्तेमाल को लेकर चर्चाएं तेज हैं। हालांकि, कोर्ट ने साफ कर दिया कि वह इस मुद्दे पर इस समय कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा।