सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उस व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज कर दी, जिस पर प्रतिबंधित संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) से जुड़े होने और देश में “आतंक का घेरा” बनाने की कोशिश करने का आरोप है।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की, जिसमें आरोपी को जमानत देने से इनकार किया गया था। आरोपी को मई 2023 में गिरफ्तार किया गया था और उसके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा की जा रही है।
यह सुनवाई उस घटना के अगले दिन हुई जब दिल्ली के लालकिले के पास एक धमाके में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई थी। आरोपी के वकील ने कहा कि सोमवार की घटना के बाद यह मामला सुनने का “उचित समय” नहीं है। इस पर न्यायमूर्ति नाथ ने कहा, “यही सबसे अच्छा समय है — एक संदेश देने का।”
पीठ ने पूछा, “गवाहों को फिलहाल छोड़िए, जब्त की गई चीजों की क्या व्याख्या है?” इस पर वकील ने जवाब दिया, “इस्लामिक साहित्य के अलावा कुछ भी बरामद नहीं हुआ।”
इस पर न्यायालय ने कहा कि आरोपी ने आईएसआईएस से मिलते-जुलते नाम का व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था। “इसका मकसद क्या था?” अदालत ने सवाल किया।
पीठ ने आगे कहा, “आप पर देश में आतंक का घेरा बनाने का आरोप है। माफ कीजिए, लेकिन यह गंभीर मामला है। आप देश में अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे थे।”
आरोपी की ओर से कहा गया कि कोई विस्फोटक पदार्थ बरामद नहीं हुआ है और वह व्यक्ति 70 प्रतिशत शारीरिक रूप से दिव्यांग है, जो दो साल छह महीने से जेल में बंद है। लेकिन पीठ ने यह दलील अस्वीकार करते हुए कहा कि आरोप तय हो चुके हैं और अभियोजन पक्ष ने प्रथम दृष्टया मामला साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं।
अदालत ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा, “ट्रायल कोर्ट इस मामले की सुनवाई दो वर्षों के भीतर पूरी करे। यदि यह अवधि बिना याचिकाकर्ता की गलती के पार हो जाती है, तो उसे जमानत की मांग दोबारा करने की स्वतंत्रता होगी।”
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश में दर्ज तथ्यों के अनुसार, जांच से पता चला कि कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान वर्ष 2020 में आरोपी ने विवादास्पद इस्लामी प्रचारक जाकिर नाइक के वीडियो देखकर धर्मों की तुलना संबंधी विचारधारा अपनाना शुरू किया।
आरोप है कि आरोपी अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर आईएसआईएस से जुड़ा हुआ था और उसके पास संगठन के झंडे जैसे चिन्ह वाले कई आपत्तिजनक दस्तावेज़ और पर्चे मिले। यह भी कहा गया कि उसने और उसके साथियों ने जबलपुर स्थित एक आयुध कारखाने पर हमला करने की साजिश रची थी ताकि हथियार हासिल कर आईएसआईएस की गतिविधियों को आगे बढ़ाया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश दर्शाता है कि आतंकवादी गतिविधियों और उग्रवादी नेटवर्क से जुड़े मामलों में अदालतें बेहद सख्त रुख अपनाए हुए हैं।




