आज एक अहम टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता पद प्रदान करने की प्रक्रिया पर सवाल उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई योग्य उम्मीदवारों को नजरअंदाज किया गया है। रमन गांधी बनाम रजिस्ट्रार जनरल, दिल्ली हाई कोर्ट व अन्य मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ने दिल्ली हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से हालिया नियुक्तियों के मानदंड स्पष्ट करने को कहा।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब दिल्ली हाई कोर्ट ने 302 साक्षात्कार दिए गए अधिवक्ताओं में से 70 को वरिष्ठ अधिवक्ता नियुक्त किया। इस फैसले को अधिवक्ता रमन गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसमें चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए। सुप्रीम कोर्ट का यह हस्तक्षेप पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया है, ताकि यह देखा जा सके कि क्या जिन उम्मीदवारों को पहले अस्वीकार किया गया, उन्हें फिर से विचार में लिया जा सकता है।
सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि प्रारंभिक सूची तैयार करने वाली स्थायी समिति में गड़बड़ियां थीं। इस समिति में दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और अन्य प्रमुख न्यायिक हस्तियां शामिल हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर नंदराजोग ने अंतिम सूची में गड़बड़ियों के चलते समिति से इस्तीफा दे दिया, जिससे विवाद और गहरा गया। नंदराजोग, जो मध्यस्थता कार्य में व्यस्त होने के कारण अंतिम सूची पर हस्ताक्षर नहीं कर सके, ने आरोप लगाया कि मूल सूची के साथ छेड़छाड़ की गई।

इन चिंताओं के मद्देनज़र सुप्रीम कोर्ट ने अब समिति के एक सदस्य से विस्तृत हलफनामा मांगा है और निर्देश दिया है कि इसे हाई कोर्ट के वकीलों के साथ साझा किया जाए। न्यायमूर्ति ओका ने ज़ोर देते हुए कहा, “जब आप हलफनामा पढ़ेंगे तो आपको समझ आ जाएगा कि हम क्या सुझाव दे रहे हैं। जिन योग्य उम्मीदवारों को अस्वीकार किया गया है, उनके मामलों पर पूर्ण पीठ के समक्ष फिर से चर्चा की जाए।”