सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (VIL) की उस याचिका पर सुनवाई 27 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी जिसमें उसने दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा वित्त वर्ष 2016–17 के लिए की गई ₹5,606 करोड़ की अतिरिक्त समायोजित सकल राजस्व (AGR) मांग को चुनौती दी है। यह मामला अब दिवाली अवकाश के बाद सुना जाएगा।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ इस मामले की सुनवाई के लिए निर्धारित थी। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, जो केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए, ने अदालत से मामले को स्थगित करने का अनुरोध किया ताकि किसी समाधान की संभावना तलाश की जा सके।
उन्होंने कहा, “कुछ समाधान निकालना पड़ सकता है, आपके अनुमोदन के अधीन। यदि इसे अगले सप्ताह रखा जा सके, तो हम कोई समाधान सोच सकते हैं।”
मेहता ने यह भी बताया कि सरकार के पास वोडाफोन आइडिया में लगभग 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जिससे वह कंपनी के अस्तित्व में प्रत्यक्ष रूप से हितधारक बन जाती है।

वोडाफोन आइडिया ने अपनी नई याचिका में DoT को यह निर्देश देने की मांग की है कि वह 3 फरवरी 2020 की ‘डिडक्शन वेरिफिकेशन गाइडलाइंस’ के अनुसार 2016-17 तक की पूरी एजीआर देनदारियों का पुनर्मूल्यांकन और मिलान करे।
एजीआर (समायोजित सकल राजस्व) वह आय है जिसके आधार पर दूरसंचार कंपनियां सरकार को लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क का भुगतान करती हैं। पहले एजीआर में दूरसंचार और गैर-दूरसंचार दोनों तरह की आय (जैसे ब्याज से आय या परिसंपत्तियों की बिक्री से प्राप्त राशि) शामिल होती थी। वर्ष 2021 में नियमों में संशोधन कर गैर-दूरसंचार आय को एजीआर से बाहर कर दिया गया, जिससे कंपनियों पर वित्तीय बोझ कम हुआ।
अक्टूबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने DoT की एजीआर की परिभाषा को सही ठहराया और दूरसंचार कंपनियों को बकाया राशि चुकाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि DoT द्वारा उठाई गई एजीआर मांग अंतिम है और इसमें किसी भी प्रकार का पुनर्मूल्यांकन या विवाद नहीं किया जा सकता।
सितंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों को ₹93,520 करोड़ की एजीआर देनदारियां चुकाने के लिए 10 वर्षों की अवधि दी। अदालत ने निर्देश दिया कि कंपनियां 31 मार्च 2021 तक कुल बकाया राशि का 10 प्रतिशत भुगतान करें और शेष राशि 31 मार्च 2031 तक वार्षिक किस्तों में अदा करें।
इस साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल की पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दी थीं। इन याचिकाओं में कंपनियों ने एजीआर की गणना में हुई कथित गणनात्मक त्रुटियों और दोहरी प्रविष्टियों को ठीक करने की मांग की थी।