भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें उसने दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (I.B. Code) के तहत अपील दायर करने में हुई देरी की माफी के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया था। यह मामला “Power Infrastructure India बनाम Power Finance Corporation Ltd. एवं अन्य” (सिविल अपील संख्या 8240-8241/2023) से संबंधित था, जिसे न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने सुना।
मामले की पृष्ठभूमि
Power Infrastructure India, जो एक विदेशी कंपनी है, ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) के आदेश के खिलाफ NCLAT में अपील दायर की थी। I.B. Code की धारा 61(2) के तहत अपील दायर करने की समय-सीमा 30 दिन है, और यदि पर्याप्त कारण प्रस्तुत किया जाए, तो 15 दिन की अतिरिक्त देरी माफ की जा सकती है।
इस मामले में, अपील समय-सीमा के 15वें दिन (11 नवंबर 2022) को ई-फाइल की गई थी। हालांकि, अगले दो दिन अवकाश के कारण NCLAT बंद था, और हार्ड कॉपी 14 नवंबर 2022 को दायर की गई। लेकिन, NCLAT ने देरी की माफी की याचिका को खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि I.B. Code में निर्धारित सख्त समय-सीमा का पालन किया जाना आवश्यक है। NCLAT ने 7 नवंबर 2023 को 17 पृष्ठों का विस्तृत आदेश पारित किया, जिसके खिलाफ अपील अंततः सर्वोच्च न्यायालय पहुंची।

मुख्य कानूनी मुद्दे
- I.B. Code के तहत देरी की माफी:
- क्या NCLAT को 15 दिनों की देरी की माफी देने से इनकार करना उचित था, जबकि याचिकाकर्ता ने देरी का समुचित स्पष्टीकरण दिया था?
- सख्त समय-सीमा बनाम उदार दृष्टिकोण:
- प्रतिवादियों ने तर्क दिया कि I.B. Code के तहत समय-सीमा अत्यंत महत्वपूर्ण है, और यदि देरी की उदारता से माफी दी जाएगी, तो संहिता के उद्देश्य विफल हो जाएंगे।
- NCLAT का अत्यधिक तकनीकी दृष्टिकोण:
- क्या NCLAT का देरी की माफी से इनकार करना और 17 पृष्ठों का विस्तृत आदेश जारी करना आवश्यकता से अधिक तकनीकी रवैया था, जिससे निपटान प्रक्रिया में अनावश्यक देरी हुई?
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और टिप्पणियां
सर्वोच्च न्यायालय ने 11 फरवरी 2025 को अपने आदेश में महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं:
🔹 NCLAT के दृष्टिकोण की आलोचना:
- न्यायालय ने कहा कि NCLAT ने एक साधारण देरी माफी आवेदन पर निर्णय लेने के लिए 17 पृष्ठों का आदेश पारित किया, जो अनावश्यक था।
- न्यायालय ने टिप्पणी की, “हमें यह देखकर आश्चर्य होता है कि NCLAT, जहां पहले से ही लंबित मामलों की संख्या अधिक है, उसने एक छोटे से आवेदन पर 17 पृष्ठों का आदेश जारी करने में इतना समय और ऊर्जा क्यों लगाई?”
- अदालत ने यह भी कहा कि वकीलों की लंबी दलीलों के कारण ऐसे विस्तृत आदेश बनते हैं, जिन्हें टाला जा सकता है।
🔹 समय-सीमा का महत्व, लेकिन लचीलापन भी आवश्यक:
- सर्वोच्च न्यायालय ने स्वीकार किया कि I.B. Code के तहत समय-सीमा महत्वपूर्ण है, लेकिन एक अत्यधिक तकनीकी दृष्टिकोण अपनाने से प्रक्रिया में अतिरिक्त देरी हो सकती है।
- अदालत ने कहा कि NCLAT की ओर से देरी की माफी को खारिज करने के कारण मामला 13 महीने तक सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहा, जिससे समाधान प्रक्रिया में और अधिक विलंब हुआ।
🔹 याचिकाकर्ता ने देरी का समुचित कारण प्रस्तुत किया:
- न्यायालय ने पाया कि विदेशी कंपनी होने के कारण याचिकाकर्ता की ओर से 15 दिनों की देरी का उचित स्पष्टीकरण दिया गया था।
- अदालत ने कहा कि “NCLAT को अत्यधिक तकनीकी दृष्टिकोण अपनाने के बजाय देरी की माफी स्वीकार करनी चाहिए थी, क्योंकि अपील 15वें दिन दायर की गई थी, जो धारा 61(2) के प्रावधान के तहत अनुमत सीमा में थी।”
🔹 NCLAT का आदेश रद्द:
- सर्वोच्च न्यायालय ने 7 नवंबर 2023 को पारित NCLAT के आदेश को रद्द कर दिया और देरी की माफी की याचिका को स्वीकार कर लिया।
- न्यायालय ने NCLAT को निर्देश दिया कि वह (Company Appeal (AT) (Ins) Nos. 1405-1406 of 2022) को कानून के अनुसार सुनवाई के लिए स्वीकार करे।