सुप्रीम कोर्ट ने कानून कॉलेजों के शैक्षणिक मामलों में बीसीआई के हस्तक्षेप पर जताई नाराजगी

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने भारत के बार काउंसिल (BCI) को कानून कॉलेजों के शैक्षणिक मामलों में अनावश्यक हस्तक्षेप के लिए फटकार लगाई और स्पष्ट किया कि ऐसे विषयों को शैक्षणिक विशेषज्ञों पर छोड़ देना चाहिए, न कि नियामक संस्था पर।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ 2021 में बीसीआई द्वारा एक वर्षीय एलएलएम कार्यक्रम को समाप्त करने और विदेशी एलएलएम डिग्रियों को मान्यता न देने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान पीठ ने बीसीआई की भूमिका पर सवाल उठाया कि वह पाठ्यक्रम निर्धारण जैसे शैक्षणिक विषयों में हस्तक्षेप क्यों कर रहा है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, “आप शैक्षणिक मामलों में हस्तक्षेप क्यों कर रहे हैं? क्या पाठ्यक्रम तैयार करना शिक्षाविदों की जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए?” उन्होंने यह भी कहा कि बीसीआई की प्रमुख जिम्मेदारी देश के लगभग दस लाख वकीलों के पेशेवर ज्ञान और प्रशिक्षण को बढ़ावा देना है।

Video thumbnail

अदालत ने बीसीआई को शैक्षणिक मानकों को निर्धारित करने की कोशिश के लिए भी आड़े हाथों लिया और कहा, “आपने स्वयं को थोप दिया है और दावा कर रहे हैं कि इस देश में केवल आप ही प्राधिकृत संस्था हैं।”

वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने बीसीआई की ओर से दलील देते हुए बताया कि एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी, जिसने एक वर्षीय और दो वर्षीय एलएलएम डिग्रियों के समकक्षता की रूपरेखा तैयार की। हालांकि, पीठ ने मौजूदा शैक्षणिक ढांचे से निकल रहे न्यायिक अधिकारियों की गुणवत्ता पर चिंता जताई।

पीठ ने तीखे सवाल उठाते हुए पूछा, “कैसे अधिकारी हमारे सामने आ रहे हैं? क्या वे संवेदनशील हैं? क्या वे जमीन की हकीकत समझते हैं या बस यंत्रवत फैसले सुनाते हैं?” अदालत ने कहा कि न्यायपालिका भी कानूनी शिक्षा की एक प्रमुख हितधारक है, इसलिए इन सवालों पर चिंतन जरूरी है।

READ ALSO  कर्मचारी के एक ही कार्य के लिए संचयी रूप से दो दंड लगाना दोहरे खतरे के सिद्धांत का उल्लंघन है: हाईकोर्ट

पीठ ने सुझाव दिया कि ऐसे मुद्दों से शिक्षाविदों को निपटना चाहिए और बीसीआई को ड्राफ्टिंग की कला और केस लॉ को समझने जैसे विषयों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने जैसे अपने वैधानिक कर्तव्यों पर ध्यान देना चाहिए।

राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों के संघ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बीसीआई पर आरोप लगाया कि वह न केवल एलएलएम, बल्कि पीएचडी और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों को भी नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा, “बीसीआई की भूमिका केवल कानूनी पेशे में प्रवेश को नियंत्रित करने की थी, न कि शैक्षणिक डिग्रियों का सूक्ष्म प्रबंधन करने की।”

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश पर "आश्चर्यचकित" होते हुए इसे स्व-विरोधाभासी बताया
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles