न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के प्रस्तावित तबादले को लेकर चल रही अटकलों के बीच भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक आधिकारिक बयान जारी कर हालिया घटनाओं से जुड़ी “भ्रामक जानकारियों और अफवाहों” को खारिज किया है।
गुरुवार को जारी एक कड़े शब्दों वाले स्पष्टीकरण में सुप्रीम कोर्ट ने कहा,
“न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास पर हुई घटना को लेकर भ्रामक जानकारी और अफवाहें फैलाई जा रही हैं।”
दिल्ली हाईकोर्ट में वर्तमान में दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश और उसके कॉलेजियम के सदस्य न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को उनके मूल हाईकोर्ट — इलाहाबाद हाईकोर्ट — में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है, जहां वे वरिष्ठता के क्रम में नौवें स्थान पर होंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह स्थानांतरण प्रस्ताव “इन-हाउस जांच प्रक्रिया से स्वतंत्र और अलग” है, और इसका किसी अन्य घटनाक्रम या अटकलों से कोई संबंध नहीं है।
बयान में आगे बताया गया कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम — जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश और चार वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल हैं — ने 20 मार्च 2025 को विचार-विमर्श किया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के परामर्शी न्यायाधीशों, संबंधित उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और स्वयं न्यायमूर्ति वर्मा को पत्र भेजे गए।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि प्राप्त सभी प्रतिक्रियाओं की सावधानीपूर्वक जांच की जाएगी और उसके बाद ही कॉलेजियम कोई औपचारिक निर्णय या प्रस्ताव पारित करेगा।