सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की याचिका ठुकराई, कहा — “मुख्य सचिव को अदालत में पेश होना ही होगा, चुनाव आयोग संभाल लेगा”

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बिहार सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें राज्य के मुख्य सचिव को आवारा कुत्तों के मामले में 3 नवंबर को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट देने की मांग की गई थी। राज्य ने आगामी विधानसभा चुनावों का हवाला देते हुए यह छूट मांगी थी।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने बिहार सरकार की इस दलील को अस्वीकार करते हुए कहा, “चुनाव आयोग है, वह सब देख लेगा। चिंता मत कीजिए, मुख्य सचिव को आने दीजिए।”

बिहार की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया, “महोदय, आपने सभी डिफॉल्टिंग राज्यों के मुख्य सचिवों को 3 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया है। बिहार में चुनाव चल रहे हैं।”

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इस पर पीठ ने कहा, “मुख्य सचिव को चुनाव में कुछ नहीं करना होता।” जब वकील ने कहा कि किसी अन्य सचिव को भेजने की अनुमति दी जाए, तो अदालत ने दो-टूक कहा, “नहीं। दूसरे सचिव वहीं काम करें।”

27 अक्टूबर को हुई पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने उन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों पर कड़ी नाराज़गी जताई थी जिन्होंने आवारा कुत्तों के नियंत्रण से जुड़ी अनुपालन शपथपत्र (compliance affidavits) दाखिल नहीं की थी, जबकि अदालत ने 22 अगस्त को ऐसा करने का आदेश दिया था।

अदालत ने कहा था कि पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम (MCD) को छोड़कर किसी भी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश ने रिपोर्ट दाखिल नहीं की है।

पीठ ने आदेश में कहा था, “अधिकांश राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है, इसलिए पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर बाकी सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिव 3 नवंबर, 2025 को सुबह 10:30 बजे इस अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होंगे और बताएंगे कि अनुपालन शपथपत्र क्यों नहीं दाखिल किए गए।”

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सुप्रीम कोर्ट में यह मामला स्वप्रेरित (suo motu) रूप से विचाराधीन है, जो देशभर में आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या और Animal Birth Control (ABC) Rules, 2023 के पालन से जुड़ा है। अदालत ने यह मामला 28 जुलाई, 2025 को मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर स्वतः संज्ञान में लिया था, जिनमें दिल्ली में बच्चों के ऊपर बढ़ते कुत्तों के हमलों और रेबीज़ के मामलों पर चिंता जताई गई थी।

22 अगस्त को अदालत ने इस मामले का दायरा दिल्ली-एनसीआर से बढ़ाकर पूरे देश तक विस्तारित किया और सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को पक्षकार बनाया। अदालत ने नगर निकायों को निर्देश दिया कि वे शपथपत्र के रूप में यह बताएं कि उनके पास ABC Rules के पालन हेतु क्या संसाधन उपलब्ध हैं — जैसे डॉग पाउंड, पशु चिकित्सक, प्रशिक्षित डॉग कैचर, विशेष वाहन और पिंजरे इत्यादि।

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अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि ABC Rules पूरे भारत में समान रूप से लागू हैं और सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों का यह दायित्व है कि वे इन नियमों का पालन सुनिश्चित करें।

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