सुप्रीम कोर्ट का संकेत: “विश्वास की कमी” के बीच अब सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जज देखेंगे राज्य बार काउंसिल चुनावों की निगरानी

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को संकेत दिया कि अब सेवानिवृत्त हाईकोर्ट न्यायाधीशों की निगरानी में देशभर के राज्य बार काउंसिलों के चुनाव कराए जाएंगे ताकि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव सुनिश्चित हो सके।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) और विभिन्न राज्य बार काउंसिलों के बीच “विश्वास की कमी” मौजूद है। इस कारण अदालत ने सुझाव दिया कि प्रत्येक राज्य में एक स्वतंत्र निर्वाचन समिति गठित की जाए, जिसकी अध्यक्षता एक सेवानिवृत्त हाईकोर्ट न्यायाधीश करें।

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा, जो बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन भी हैं, अदालत में उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि बीसीआई को इस व्यवस्था पर कोई आपत्ति नहीं है यदि सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को बार काउंसिल चुनावों की देखरेख के लिए नियुक्त किया जाता है।

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न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सुनवाई के दौरान कहा, “राज्य बार काउंसिल या बार एसोसिएशन के चुनाव धरती के सबसे कठिन चुनाव हैं।” उन्होंने मनन मिश्रा से आग्रह किया कि विभिन्न राज्यों में चुनाव जल्द से जल्द अधिसूचित किए जाएं।

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मिश्रा ने अदालत को बताया कि पंजाब और हरियाणा बार काउंसिल के चुनाव सोमवार को अधिसूचित किए जाएंगे और सात अन्य राज्यों के चुनावों की तिथियां इस सप्ताह के भीतर घोषित होंगी।

वरिष्ठ अधिवक्ता माधवी दिवान, जो एक हस्तक्षेपकर्ता की ओर से पेश हुईं, ने अदालत को बताया कि उसके आदेशों की अवहेलना की जा रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली बार काउंसिल ने 9 अक्टूबर को चुनाव तिथियों की अधिसूचना जारी की थी, लेकिन अगले ही दिन 10 अक्टूबर को बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने उस निकाय को भंग करने का नोटिस जारी कर दिया।

इस पर मिश्रा ने जवाब दिया, “वे चाहते हैं कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया को चुनाव प्रक्रिया से बाहर कर दिया जाए और चुनाव उनके मुताबिक कराए जाएं।”

पीठ ने स्पष्ट किया कि बीसीआई को चुनाव प्रक्रिया से बाहर नहीं किया जा सकता। अदालत ने दोहराया कि पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय सेवानिवृत्त हाईकोर्ट न्यायाधीश चुनावों की निगरानी करेंगे।

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यह मामला उन कई सुनवाइयों में से एक है जिनमें सुप्रीम कोर्ट ने राज्य बार काउंसिल चुनावों में हो रही देरी पर चिंता जताई है। 31 अक्टूबर को अदालत ने बीसीआई को निर्देश दिया था कि वह पंजाब और हरियाणा बार काउंसिलों के चुनावों की अधिसूचना 10 दिनों के भीतर जारी करे और चुनाव 31 दिसंबर तक संपन्न कराए। साथ ही, उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के चुनाव 31 जनवरी 2026 तक कराने और मतदाताओं की वास्तविक शिकायतों को निपटाने का निर्देश भी दिया गया था।

इन निर्देशों से पहले अदालत के ध्यान में यह बात लाई गई थी कि पंजाब और हरियाणा काउंसिलों के चुनाव अधिसूचित नहीं हुए हैं और उत्तर प्रदेश की मतदाता सूची वेबसाइट पर अपलोड नहीं की जा रही है।

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24 सितंबर की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य समयसीमा तय की थी कि सभी राज्य बार काउंसिलों के चुनाव 31 जनवरी 2026 तक कराए जाएं और यह भी कहा था कि अधिवक्ताओं के एलएलबी प्रमाणपत्रों के सत्यापन अभियान को चुनाव टालने का आधार नहीं बनाया जा सकता।

अदालत यह सुनवाई बार काउंसिल ऑफ इंडिया के ‘सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (वेरिफिकेशन) रूल्स, 2015’ के नियम 32 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कर रही थी। यह नियम बीसीआई को ‘एडवोकेट्स एक्ट, 1961’ में निर्धारित वैधानिक अवधि से अधिक समय तक राज्य बार काउंसिल सदस्यों का कार्यकाल बढ़ाने का अधिकार देता है।

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