सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस ए एस बोपन्ना एंव जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने भाजपा मंत्री विनीत गोयनका की ओर से दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और ट्विटर को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। साथ ही पीठ ने पूछा है कि फर्जी अकाउंट बनाकर फैलाई जा रही भ्रामक खबरें ,संदेश और नफरत भरे कंटेंट और विज्ञापनों को कैसे रोका जाएगा?
याचिकाकर्ता के पक्षकार अधिवक्ता अश्वनी दुबे ने कहा कि गणमान्य नागरिकों व संविधानिक पद पर नियुक्त लोगों के नाम से फेसबुक व ट्विटर पर सैकड़ों की तादाद में फर्जी अकाउंट उनकी वास्तविक फोटो के साथ चल रहे हैं।
जिसमे भ्रम और नफरत फैलाने वाली सामग्री पोस्ट की जा रही है। जिस पर आम नागरिक आसानी से विश्वास कर लेते हैं।
सोशल नेटवर्क साइट्स पर इस नफरत वाली सामग्री से दंगे हो रहे हैं,दिल्ली दंगा इसका जीता जागता उदाहरण है।
जाती व धर्म का उन्माद बढ़ाया जा रहा है, जो देश की एकता व भाईचारे के लिए खतरा है। चुनाव के वक्त खासतौर से राजनेतिक पार्टियां अपना प्रचार कर रहे है, प्रतिद्वंद्वी की छवि बिगाड़ रहे हैं।
देशविरोधी माहौल बना रहा ट्विटर-
भाजपा नेता की तरफ से दाखिल याचिका में उल्लेख है कि खासतौर पर ट्विटर और उसके अधिकारी जानबूझकर भारत के विरुद्ध भावनाओं को भड़का रहे हैं।
जिनके खिलाफ कार्यवाई का कानून होना चाहिए। वर्ष 2019 में प्रतिबंधित सिख फ़ॉर जस्टिस ट्विटर पर मौजूद है और देश के खिलाफ काम कर रहे हैं।
ट्विटर सोशल मीडिया पर सुरक्षा के लिए जो एल्गोरथीम व तर्क प्रयोग करता है, उन्हें भारत सरकार से साझा करें ताकि देश विरोधी ट्विट की स्क्रीनिंग हो सके।
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