आवारा कुत्तों का मामला: मुख्य न्यायाधीश ने तीन-न्यायाधीशों की नई पीठ गठित की, सुनवाई कल

भारत के सर्वोच्च न्यायालय में आवारा कुत्तों से जुड़ी याचिकाओं के समूह पर सुनवाई अब नई, विशेष रूप से गठित तीन-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष गुरुवार को होगी। मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने बुधवार को एक वकील की चिंता सुनने के बाद इस मामले को देखने का आश्वासन दिया। इसके बाद रजिस्ट्री ने सभी संबंधित मामलों, जिनमें हाल ही में दो-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा स्वत: संज्ञान से शुरू किया गया मामला भी शामिल है, को एक साथ सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

मामले की पृष्ठभूमि

सुप्रीम कोर्ट में कई वर्षों से देशभर में आवारा कुत्तों की समस्या से जुड़े मामलों पर सुनवाई हो रही है। यह मुद्दा एक ओर पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 और उसके अंतर्गत बनाए गए एनिमल बर्थ कंट्रोल (डॉग्स) नियमों से जुड़ा है, तो दूसरी ओर राज्यों के कानूनों के तहत नगर निकायों के सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के अधिकार और कर्तव्यों से। विभिन्न उच्च न्यायालयों के अलग-अलग आदेशों के कारण देश में आवारा कुत्तों के प्रबंधन और कुत्तों के काटने की घटनाओं की रोकथाम के लिए एक समान राष्ट्रीय नीति का अभाव रहा है।

हाल ही में, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने एक दुखद घटना की खबरों पर स्वत: संज्ञान लिया था और मामले में कुछ अंतरिम निर्देश जारी किए थे।

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न्यायालय की कार्यवाही

बुधवार सुबह मामलों के उल्लेख (मेंशनिंग) के दौरान, एक वकील ने मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई की पीठ के समक्ष इस विषय को उठाया। वकील ने स्वत: संज्ञान कार्यवाही में पारित हालिया आदेश पर आपत्ति जताते हुए सभी लंबित मामलों की समग्र सुनवाई की आवश्यकता बताई, ताकि परस्पर विरोधी आदेशों की स्थिति न बने।

मुख्य न्यायाधीश गवई ने जवाब में कहा, “मैं इस मामले को देखूंगा।”

न्यायालय का निर्णय और आगामी सुनवाई

मुख्य न्यायाधीश के आश्वासन के बाद, सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने 14 अगस्त 2025 के लिए नया कारण सूची (कॉज़ लिस्ट) जारी किया। इसमें बताया गया है कि नई तीन-न्यायाधीशों की पीठ अब आवारा कुत्तों के मुद्दे से संबंधित सभी याचिकाओं की सुनवाई करेगी।

महत्वपूर्ण रूप से, न्यायमूर्ति पारदीवाला की पीठ द्वारा शुरू की गई स्वत: संज्ञान याचिका को भी इस बड़ी पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए जोड़ा गया है। माना जा रहा है कि तीन-न्यायाधीशों की यह पीठ देशव्यापी दिशानिर्देश तय करने और पशु अधिकारों तथा मानव सुरक्षा के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए निर्णायक फैसला दे सकती है।

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