इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने विशेष अपील संख्या 209 वर्ष 2025 (राणा प्रताप एवं अन्य बनाम राज्य उत्तर प्रदेश एवं अन्य) में यह स्पष्ट किया कि यदि किसी प्रक्रियात्मक आदेश से पक्षकारों के मूलभूत अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और अपूरणीय क्षति की संभावना हो, तो उसके विरुद्ध विशेष अपील विचारणीय है।
यह निर्णय न्यायमूर्ति आलोक माथुर एवं न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने पारित किया।
अपीलकर्ताओं—जो वर्ष 2007 से उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में जूनियर असिस्टेंट/क्लर्क पद पर संविदा के आधार पर कार्यरत हैं—ने 29.05.2025 के एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें अंतरिम राहत देने से इनकार किया गया था और केवल प्रतिवादियों को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का समय दिया गया था।

खंडपीठ ने यह स्वीकार किया कि विशेष अपील विचारणीय है और मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित रिट याचिका Writ-A No. 6293 of 2025 को शीघ्र सुनवाई हेतु 14 जुलाई 2025 को एकल पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
मामले की पृष्ठभूमि
अपीलकर्ताओं ने Writ-A No. 6293 of 2025 के माध्यम से अपनी सेवा नियमित किए जाने की मांग की और दिनांक 4.8.2023 को जारी विज्ञापन के माध्यम से चल रही भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने की प्रार्थना की।
29 मई 2025 को एकल पीठ ने अंतरिम रोक नहीं लगाई, बल्कि प्रतिवादियों को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का अवसर देते हुए अगली तिथि 11.08.2025 नियत कर दी। इसी आदेश को चुनौती देते हुए अपील याचिका दाखिल की गई।
अपीलकर्ताओं की दलीलें
वरिष्ठ अधिवक्ता श्री अनुराग शुक्ला ने प्रस्तुत किया:
- कि सभी अपीलकर्ता वर्ष 2007 से कार्यरत हैं और उन्हें नियमितीकरण की आशा थी।
- कि आयोग ने 19.10.2020 को राज्य सरकार को पत्र लिखकर नियमितीकरण की संस्तुति की थी।
- कि राज्य सरकार द्वारा अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
- कि नई भर्ती की अनुमति देने से अपीलकर्ताओं को हटाया जा सकता है, जिससे अपूरणीय क्षति होगी।
उन्होंने Ashutosh Shrotriya v. Vice-Chancellor, Dr. B.R. Ambedkar University (2015 SCC OnLine All 8553) का हवाला देते हुए तर्क दिया कि ऐसी परिस्थितियों में विशेष अपील विचारणीय होती है।
प्रतिवादियों की दलीलें
राज्य सरकार एवं आयोग के अधिवक्ताओं ने तर्क दिया:
- कि आदेश केवल प्रक्रियात्मक है और Allahabad High Court Rules के अध्याय VIII नियम 5 के अंतर्गत विशेष अपील की अनुमति नहीं है।
- कि 22.04.2022 के मुख्य सचिव के आदेशानुसार सभी विभागों को यू.पी. अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) को रिक्तियां भेजने का निर्देश दिया गया, जिससे पहले के नियमितीकरण प्रस्ताव की प्रासंगिकता समाप्त हो गई।
- कि आयोग ने 22.03.2023 को UPSSSC को रिक्तियों की अधिसूचना भेज दी थी।
UPSSSC की ओर से यह भी बताया गया कि चयन प्रक्रिया सामान्यतः दो-तीन माह में पूर्ण होती है।
कोर्ट का विश्लेषण
खंडपीठ ने Ashutosh Shrotriya निर्णय के अनुच्छेद 43 व 44 का उल्लेख करते हुए कहा:
“जहाँ विशेष अपील में खंडपीठ यह पाती है कि एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश मात्र प्रक्रियात्मक नहीं है बल्कि अपीलकर्ता के मूल अधिकारों को अपूरणीय क्षति पहुँचा सकता है, वहाँ न्यायालय हस्तक्षेप करने के लिए सक्षम है।”
न्यायालय ने यह तथ्य रेखांकित किया कि भर्ती परीक्षा 29.06.2025 को प्रस्तावित है और यदि चयन हो गया तो अपीलकर्ताओं को पद से हटाया जा सकता है, जिससे अपूरणीय नुकसान होगा।
अंतिम आदेश
न्यायालय ने किसी भी प्रकार की अंतरिम राहत दिए बिना निर्देश दिया कि Writ-A No. 6293 of 2025 को 14 जुलाई 2025 को एकल पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए।
राज्य आयोग की ओर से अधिवक्ता ने यह आश्वासन दिया कि वे 2 जुलाई 2025 को जवाबी हलफनामा दाखिल करेंगे, और याचिकाकर्ता उसके तीन दिन के भीतर प्रत्युत्तर दाखिल करेंगे।
इसके साथ विशेष अपील का निस्तारण कर दिया गया।