कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोनू निगम को अंतरिम राहत दी, अगली सुनवाई तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी

कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को प्रसिद्ध गायक सोनू निगम के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले में अगली सुनवाई तक किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है। यह मामला एक संगीत कार्यक्रम के दौरान कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर दर्ज किया गया था।

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि जांच अधिकारी (IO) आवश्यक समझें, तो निगम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना बयान दर्ज करा सकते हैं। यदि अधिकारी प्रत्यक्ष उपस्थिति पर जोर देते हैं, तो वे स्वयं गायक के पास जाकर उनका बयान दर्ज कर सकते हैं, बशर्ते कि उससे संबंधित सभी खर्चे सोनू निगम वहन करें।

यह आपराधिक मामला एक संगीत कार्यक्रम में हुए घटनाक्रम से जुड़ा है, जहां कुछ कन्नड़ दर्शकों ने सोनू निगम से कन्नड़ में गीत गाने का अनुरोध किया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस अनुरोध के लहजे से आहत होकर गायक ने कथित रूप से टिप्पणी की, “यही वजह है कि पहलगाम हुआ था”, जो जम्मू-कश्मीर में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की ओर इशारा माना गया। इस बयान पर विवाद खड़ा हो गया और एक तीसरे पक्ष द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई।

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गायक की ओर से पेश हुए अधिवक्ता धनंजय विद्यापति ने तर्क दिया कि शिकायत केवल प्रचार के उद्देश्य से दर्ज की गई है और भारतीय दंड संहिता की धारा 505 (सार्वजनिक उपद्रव) के तहत कोई अपराध बनता ही नहीं है। उन्होंने कहा कि यह एकमात्र घटना थी, कार्यक्रम शांतिपूर्वक संपन्न हुआ और शिकायतकर्ता स्वयं कार्यक्रम से जुड़ा हुआ भी नहीं था।

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राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि निगम ने जांच में सहयोग नहीं किया और उपस्थिति के लिए कोई कारण भी नहीं बताया। राज्य ने कहा, “कम से कम उन्हें यह तो कहना चाहिए था कि वह व्यस्त हैं।”

सरकार की ओर से यह भी दलील दी गई कि, “जो व्यक्ति कानून की प्रक्रिया का सम्मान नहीं करता, उसे धारा 482 CrPC के तहत विशेष छूट नहीं दी जा सकती… वह आम व्यक्ति नहीं हैं, और इसी कारण उन्हें ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी।”

निगम की शारीरिक उपस्थिति से उत्पन्न होने वाली मीडिया सनसनी पर चिंता जताते हुए उनके वकील द्वारा उठाए गए मुद्दे पर अदालत ने कहा, “यदि आप शारीरिक उपस्थिति चाहते हैं, तो उनके घर जाकर बयान दर्ज करें। खर्चा वही देंगे।”

राज्य सरकार द्वारा दिए गए इस आश्वासन को दर्ज करते हुए कि यदि निगम जांच में सहयोग करेंगे तो उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा, अदालत ने अगली सुनवाई तक अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने पर भी रोक लगा दी।

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