सुरक्षा चूक के कारण न्यायाधीश, वकील और आम जनता जोखिम में: मुख्य न्यायाधीश ने मांगी स्थिति रिपोर्ट

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के प्रवेश और निकास द्वारों पर सुरक्षा उपकरणों की खराबी का हवाला देते हुए एक जनहित याचिका (पीआईएल) के जवाब में मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने हाईकोर्ट के वकील को सुरक्षा उपायों पर स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। राजेश गर्ग द्वारा अधिवक्ता नेहा मथारो के माध्यम से दायर जनहित याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि न्यायालय परिसर में गैर-कार्यात्मक सुरक्षा उपकरण न्यायाधीशों, वकीलों, न्यायालय कर्मचारियों और आम जनता के जीवन को जोखिम में डालते हैं।

गर्ग ने याचिका में विस्तार से बताया कि हाईकोर्ट में चालू होने वाले सुरक्षा उपकरण काम नहीं कर रहे हैं, जिससे सभी की सुरक्षा से समझौता हो रहा है। उन्होंने सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के माध्यम से हाईकोर्ट के प्रवेश द्वार पर सुरक्षा जांच के बारे में जानकारी मांगी थी। जवाब में संकेत दिया गया कि उपकरण चालू हालत में थे। हालांकि, व्यक्तिगत निरीक्षण करने पर, गर्ग ने पाया कि इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा द्वार चालू नहीं थे, और कार्ड स्कैनिंग के माध्यम से प्रवेश के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। यह सिस्टम आमतौर पर कार्ड या पास को स्कैन करने पर गेट को अपने आप खोलने की अनुमति देता है।

सुनवाई के दौरान, हाईकोर्ट का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव चोपड़ा ने बताया कि 11 अक्टूबर, 2023 को आयोजित सुरक्षा समिति की बैठक में यह मुद्दा उठाया गया था। समिति ने मामले को गंभीरता से लिया है और इस पर विचार कर रही है।

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मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने अब हाईकोर्ट के वकील को अगली सुनवाई तक याचिका में उल्लिखित शिकायतों को संबोधित करते हुए एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसके अतिरिक्त, अदालत ने हाईकोर्ट में प्रवेश और निकास के लिए बेहतर, अधिक सुविधाजनक और सुरक्षित तरीकों की खोज करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

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