सुप्रीम कोर्ट ने आयकर अधिनियम की धारा 80-IA और 80HHC के तहत कटौती की सीमा स्पष्ट किया

सुप्रीम कोर्ट ने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80-IA(9) की व्याख्या करते हुए स्पष्ट किया है कि जब किसी करदाता को इस धारा के अंतर्गत लाभ और आय पर कटौती दी जाती है, तो उसी लाभ के लिए अध्याय VI-A की अन्य धाराओं, विशेष रूप से धारा 80-HHC के अंतर्गत, पुनः कटौती का दावा नहीं किया जा सकता।

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने शीतल फाइबर्स लिमिटेड बनाम आयकर आयुक्त (नागरिक अपील संख्या 14318/2015) तथा संबद्ध अपीलों में यह निर्णय सुनाया। यह मामला पहले दो न्यायाधीशों के बीच मतभेद के कारण तीन-न्यायाधीशों की पीठ को सौंपा गया था।

मामले की पृष्ठभूमि

शीतल फाइबर्स लिमिटेड ने आकलन वर्ष 2002–03 के लिए ₹46,99,293 की कर योग्य आय घोषित की थी और उसने धारा 80-HHC व 80-IA के तहत कटौती का दावा किया था। आयकर विभाग ने धारा 147 के तहत पुनर्मूल्यांकन शुरू करते हुए, इन कटौतियों को ACIT बनाम Rogini Garments के विशेष पीठ के फैसले के आधार पर खारिज कर दिया।

आयुक्त (अपील), ITAT और पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने विभाग के निर्णय को सही ठहराया। उच्च न्यायालय ने माना कि यदि धारा 80-IA के तहत कटौती दी जाती है, तो धारा 80-HHC सहित अध्याय VI-A की अन्य धाराओं के तहत उसी लाभ पर कटौती नहीं दी जा सकती।

पक्षों की दलीलें

अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि धारा 80-IA(9) केवल कुल अनुमेय कटौती को सीमित करती है, लेकिन अलग-अलग धाराओं के तहत कटौती की स्वतंत्र गणना को नहीं रोकती। वहीं, राजस्व विभाग ने तर्क दिया कि धारा 80-HHC के तहत कटौती की गणना करते समय धारा 80-IA के अंतर्गत दी गई कटौती को घटाना आवश्यक है।

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सुप्रीम कोर्ट की व्याख्या

न्यायालय ने कहा:

“धारा 80-IA की उपधारा (9) स्पष्ट रूप से कहती है कि यदि किसी उपक्रम को इस धारा के अंतर्गत लाभ की कटौती दी गई है, तो उस लाभ पर अध्याय VI-A के अंतर्गत अन्य किसी भी धारा के तहत दोबारा कटौती की अनुमति नहीं दी जाएगी।”

सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के Associated Capsules (P) Ltd. केस में दिए गए निर्णय को स्वीकार करते हुए यह भी कहा:

“धारा 80-IA(9) केवल ‘अनुमति’ (allowability) को सीमित करती है, न कि कटौती की ‘गणना’ (computation) को। यानी दोनों कटौतियों की गणना स्वतंत्र रूप से की जा सकती है, लेकिन कुल मिलाकर अनुमेय कटौती लाभ से अधिक नहीं हो सकती।”

इस दृष्टिकोण की पुष्टि Assistant Commissioner of Income Tax बनाम Micro Labs Ltd. केस में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा द्वारा व्यक्त विचारों से भी हुई।

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निर्णय

न्यायालय ने यह घोषित किया कि धारा 80-IA(9) का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी करदाता को एक ही लाभ पर दोहराई गई कर कटौती न मिले। इस प्रकार, यदि धारा 80-IA के अंतर्गत कोई लाभ पहले ही कटौती के रूप में स्वीकार किया जा चुका है, तो उसी लाभ पर धारा 80-HHC के तहत पुनः कटौती की अनुमति नहीं दी जा सकती।

पीठ ने सभी अपीलों को इस कानूनी स्थिति के अनुसार निर्णय हेतु उपयुक्त पीठ के समक्ष रखने का निर्देश दिया।

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