सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही भवन के गेट ‘एफ’ पर मैनुअल स्कैवेंजिंग और खतरनाक सफाई कार्य किए जाने की तस्वीरों पर गंभीर चिंता जताई है और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की चेतावनी दी है।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया (जिनका 9 अगस्त को सेवानिवृत्त होना हुआ) और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने मैनुअल स्कैवेंजिंग की समाप्ति से जुड़ी जनहित याचिका में दायर आवेदनों पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह “विवश होकर” यह टिप्पणी कर रही है कि अभी भी ऐसे खतरनाक सफाई कार्य किए जा रहे हैं, जिनमें श्रमिकों को बिना सुरक्षा उपकरणों के जान जोखिम में डालकर काम करना पड़ रहा है।
अदालत ने लोक निर्माण विभाग (PWD) के संबंधित अधिकारी को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और पूर्वी दिल्ली नगर निगम को भी मामले में पक्षकार बनाया। निगम से पूछा गया है कि देशभर में प्रतिबंध के बावजूद अब भी खतरनाक सफाई कार्य में मैनुअल श्रम क्यों लिया जा रहा है और श्रमिकों को जानलेवा परिस्थितियों में क्यों काम करना पड़ रहा है।

पीठ ने चेतावनी दी, “यदि अगली सुनवाई तक संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो हमारे पास जिम्मेदार अधिकारी/अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का ही विकल्प बचेगा।” मामले की अगली सुनवाई 10 सितंबर को होगी।
अक्टूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि मैनुअल स्कैवेंजर्स लंबे समय से अमानवीय परिस्थितियों में फंसे हुए हैं और केंद्र व राज्यों को देशभर से इस प्रथा को पूरी तरह खत्म करने का निर्देश दिया था। अदालत ने यह भी आदेश दिया था कि सीवर की सफाई के दौरान मौत होने पर मृतक के परिजनों को 30 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए।